भूमि भृगु, जमदग्नि ऋषिनर परशुधारी राम की
धर्म, श्रृद्ध भाव की संवर्धिनी है नर्मदा
धार के कंकर कि शंकर नर्मदेश्वर हैं सभी
भक्ति-रस में लोक की अवगाहिनी है नर्मदा
मंडला, मांडव महीष्मति की नगरियाँ तट बसी
उस विगत ऐश्वर्य की संदर्शिनी है नर्मदा
आदिशंकर और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ की
साक्षिणी है, धर्म की प्रोत्साहिनी है नर्मदा
स्फटिक फेनोज्वल शिलाओं बीच भेड़ाघाट में
तरल ज्योत्सना सी निर्मल वर्चस्विनी है नर्मदा
ग्राम्य संस्कृति की विविध छवियाँ समेटे हैं पुलिन
लोकरंगों में रंगी बहुरंगिनी है नर्मदा
लोक के सुख-दुख बँटाती, लोक में रच बस गई
युग-युगों से लोक-मंगल कारिणी है नर्मदा
मंदिरों, घाटों, तटों की आरसी बनती हुई
रम्य दृश्यों से सजी सम्मोहिनी है नर्मदा।
नित्य वानस्पतिक जग को दे मनोज्ञ हरीतिमा
प्राकृतिक सौन्दर्य की संधारिणी है नर्मदा
वन्य जीवन पोसती, पशु पक्षियों को पालती
विपिन, पर्यावरण की संरक्षिणी है नर्मदा
ओम अनहद रव श्रवण कर उग्र रेवा मंद है
सत्य, शिव, सौन्दर्य की संस्पर्शिनी है नर्मदा
निर्मला धारा धरा को उर्वरा करती सतत
अग्निगर्भा है अमित ऊर्जस्विनी है नर्मदा
ध्यानमग्ना बह रही है सपृ कल्पों से अथक
तापसी, साध्वी, सहज सन्यासिनी है नर्मदा
तीर्थाटन मान जिसकी भक्त करते परिक्रमा
सर्व नदियों में नदी एकाकिनी है नर्मदा
संस्कृति की लोक धारा बन बही है क्षेत्र में
लोक- मानस की प्रकीर्ण प्रकाशिनी है नर्मदा
धूप में जग मग सलिल की रजतवर्णी धार यह
भारती की गूँजती कटि शिंजिनी है नर्मदा
चक्र कुंडलिनी जगाकर ऊध्र्वगामी मन करे
योगधारा, योगजीवी, योगिनी है नर्मदा
विश्व को ‘कल्याणमस्तु’ सदैव ये आशीष दे
अशिव पर शिव की अपूर्वा विजयिनी है नर्मदा
भाग्य रेखा है हमारे मध्यवर्ती देश की
अन्नदा, जलदा सहज संजीवनी है नर्मदा
नमामि देवी नर्मदे! के आरती-स्वर गूँजते
सांध्य प्रात: पूज्य देवि स्वरूपिणी है नर्मदा
धर्म, श्रृद्ध भाव की संवर्धिनी है नर्मदा
धार के कंकर कि शंकर नर्मदेश्वर हैं सभी
भक्ति-रस में लोक की अवगाहिनी है नर्मदा
मंडला, मांडव महीष्मति की नगरियाँ तट बसी
उस विगत ऐश्वर्य की संदर्शिनी है नर्मदा
आदिशंकर और मंडन मिश्र के शास्त्रार्थ की
साक्षिणी है, धर्म की प्रोत्साहिनी है नर्मदा
स्फटिक फेनोज्वल शिलाओं बीच भेड़ाघाट में
तरल ज्योत्सना सी निर्मल वर्चस्विनी है नर्मदा
ग्राम्य संस्कृति की विविध छवियाँ समेटे हैं पुलिन
लोकरंगों में रंगी बहुरंगिनी है नर्मदा
लोक के सुख-दुख बँटाती, लोक में रच बस गई
युग-युगों से लोक-मंगल कारिणी है नर्मदा
मंदिरों, घाटों, तटों की आरसी बनती हुई
रम्य दृश्यों से सजी सम्मोहिनी है नर्मदा।
नित्य वानस्पतिक जग को दे मनोज्ञ हरीतिमा
प्राकृतिक सौन्दर्य की संधारिणी है नर्मदा
वन्य जीवन पोसती, पशु पक्षियों को पालती
विपिन, पर्यावरण की संरक्षिणी है नर्मदा
ओम अनहद रव श्रवण कर उग्र रेवा मंद है
सत्य, शिव, सौन्दर्य की संस्पर्शिनी है नर्मदा
निर्मला धारा धरा को उर्वरा करती सतत
अग्निगर्भा है अमित ऊर्जस्विनी है नर्मदा
ध्यानमग्ना बह रही है सपृ कल्पों से अथक
तापसी, साध्वी, सहज सन्यासिनी है नर्मदा
तीर्थाटन मान जिसकी भक्त करते परिक्रमा
सर्व नदियों में नदी एकाकिनी है नर्मदा
संस्कृति की लोक धारा बन बही है क्षेत्र में
लोक- मानस की प्रकीर्ण प्रकाशिनी है नर्मदा
धूप में जग मग सलिल की रजतवर्णी धार यह
भारती की गूँजती कटि शिंजिनी है नर्मदा
चक्र कुंडलिनी जगाकर ऊध्र्वगामी मन करे
योगधारा, योगजीवी, योगिनी है नर्मदा
विश्व को ‘कल्याणमस्तु’ सदैव ये आशीष दे
अशिव पर शिव की अपूर्वा विजयिनी है नर्मदा
भाग्य रेखा है हमारे मध्यवर्ती देश की
अन्नदा, जलदा सहज संजीवनी है नर्मदा
नमामि देवी नर्मदे! के आरती-स्वर गूँजते
सांध्य प्रात: पूज्य देवि स्वरूपिणी है नर्मदा
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Post By: RuralWater