भारत

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पर्यावरण के क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
Posted on 28 Jan, 2016 11:07 AM
न्यायपालिका का हस्तक्षेप इसलिये भी जरूरी हो जाता है कि सरकार
जलवायु परिवर्तन का मजबूत सामना
Posted on 25 Jan, 2016 03:20 PM

भारत ने 2030 तक नवीनीकरण ऊर्जा में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 फीसदी करने के लिये प्रतिबद्ध

चुनौतियों के बीच भारत का मजबूत रुख
Posted on 25 Jan, 2016 02:47 PM

भारतीय संस्कृति के अनुरूप व पं.

हरित जीडीपी - संपोषणीय विकास का मार्ग
Posted on 25 Jan, 2016 01:40 PM

हरित जीडीपी से ही सामने आया है कि तेज और गहन पूँजी निवेश बुनियादी सुविधाओं, सड़कों, रेलवे,

आखिर कितनी हुई गंगा की सफाई
Posted on 25 Jan, 2016 09:20 AM
अब तक गंगा की सफाई के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपए बहाए जा चुके हैं, जिसके लिये कोई एक नहीं बल्कि सभी सरकारें जिम्मेदार रही हैं। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर एनजीटी के भी कई निर्देश हैं। नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि गंगा नदी की सफाई सरकार के इसी कार्यकाल में पूरी हो जाएगी। प्रमुख सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार 2018 तक यह महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी
पर्यावरण संरक्षण : संवैधानिक दायित्व
Posted on 24 Jan, 2016 03:17 PM

भारत प्राचीन समय से ही पर्यावरण संरक्षण को लेकर सदैव सजग रहा, इसी कारण उसने संवैधानिक स्त

भारतीय पथ : अतिभोग नहीं, सदुपयोग से बचेगा जीवन
Posted on 24 Jan, 2016 03:04 PM

आज जलवायु परिवर्तन का भारतीय तकाजा यह है कि सरकार और समाज मिलकर एक ओर शिक्षा, कौशल, जैविक

विकास : प्रकृति और पर्यावरण के अनुकूल
Posted on 24 Jan, 2016 02:58 PM
‘पर्यावरण के सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी दुष्प्रभावों से कोई भी
जलवायु परिवर्तन : संकट में मानवीय स्वास्थ्य
Posted on 24 Jan, 2016 02:37 PM

जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर एशिया के क्षेत्रों पर पड़ेगा क्योंकि ज्यादातर देशों की अर

क्या मैं भागीरथी का सच्चा बेटा हूँ
Posted on 24 Jan, 2016 12:04 PM

दूसरा कथन आपके समक्ष पठन, पाठन और प्रतिक्रिया के लिये प्रस्तुत है...

 

स्वामी सानंद गंगा संकल्प संवाद- दूसरा कथन

 


.तारीख : 30 सितम्बर, 2013। अस्पताल के बाहर खाने-पीने की दुकानों की क्या कमी, किन्तु उस दिन सोमवार था; मेेरे साप्ताहिक व्रत का दिन। एक कोने में जूस की दुकान दिखाई दी। जूस पी लिया; अब क्या करूँ?

स्वामी जी को आराम का पूरा वक्त देना चाहिए। इस विचार से थोड़ी देर देहरादून की सड़क नापी; थोड़ी देर अखबार पढ़ा और फिर उसी अखबार को अस्पताल के गलियारे में बिछाकर अपनी लम्बाई नापी। किसी तरह समय बीता। दरवाज़े में झाँककर देखा, तो स्वामी के हाथ में फिर एक किताब थी।

समय था -दोपहर दो बजकर, 10 मिनट। किताब बन्द की। स्वामी जी ने पूछा कि क्या खाया और फिर बातचीत, वापस शुरू।

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