बिहार

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सब्जी की खेती से मालामाल हो रहे विनाश के गर्त से निकले लोग
Posted on 23 Aug, 2015 04:22 PM

भूगर्भ से जरूरत से अधिक पानी निकलने की सम्भावना अत्यल्प होती है। अभी इन 18 गाँवों के 123 किसान 64 एकड़ ज़मीन में सब्जी की खेती कर रहे हैं। 18 गाँवों के बीच यह कोई बड़ा आँकड़ा नहीं है। पर समेकित जल प्रबन्धन कार्यक्रम सब्जी की खेती तक सीमित नहीं है। उसने इलाके के लिये उपयुक्त फसलों और उपयुक्त विधियों के चयन किया। धान व गेहूँ की खेती के लिये श्रीविधि, एसवीआई और एसडब्ल्यूआई विधि में प्रशिक्षण की व्यवस्था की।

कोसी तटबन्धों के बीच फँसे बिहार के सर्वाधिक बाढ़ग्रस्त और भयंकर सुखाड़ से पीड़ित गाँवों में गोभी, प्याज और मिर्च की लहलहाती फसल देखना जितना सुखद था, उतना ही आश्चर्यजनक भी। सुपौल जिले के मैनही गाँव में यह नजारा परम्परागत जलस्रोतों के समन्वित प्रबन्धन के साथ विभिन्न नवाचारों को अपनाने की वजह से दिख रहा है। यशस्वी इंजीनियर दिनेश कुमार मिश्र की पुस्तक ‘दुई पाटन के बीच’ के माध्यम से कोसी तटबन्धों के बीच फँसे 380 गाँवों और उनमें रहने वाली करीब 10 लाख लोगों की व्यथा-कथा उजागर होने पर मातमपूर्सी तो काफी हुई, पर संकटग्रस्त लोगों के कष्टों का टिकाऊ समाधान खोजने के प्रयास कम ही हुए।

इस तरह की कोशिश में जर्मनी की संस्था के सहयोग से जीपीएसवीएस, जगतपुर घोघरडीहा ने समेकित जल प्रबन्धन कार्यक्रम के माध्यम से टिकाऊ खेती और स्वस्थ्य जीवन का प्रयोग आरम्भ किया। इसके लिये ग्रामीण समुदाय को प्रेरित और संगठित किया गया।
vegetable farming
दक्षिणी बिहार में ‘आहर’ और ‘पईन’ का जीर्णोद्धार
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जैविक खेती में स्वावलम्बन
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बिहार में बुरा हाल
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आपदा प्रबन्धन : आवश्यकता एवं पुनर्मूल्यांकन
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ब से बिहार, ब से बाढ़
Posted on 16 Feb, 2015 05:11 PM बिहार और बाढ़ का रिश्ता काफी पुराना है। सन् 1869 तथा 1870 में कोसी नदी में प्रलयकारी बाढ़ आई थी। इससे पूर्णिया जिले में हजारों परिवार बर्बाद हो गए। इसके बाद 1878 में भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कराकर 1879 में गण्डक नदी पर तटबन्ध बनाया गया जिस पर 36 हजार रुपए खर्च किए गए।
सिंचाई व जल-संरक्षण की अनोखी पद्धति को बचाना होगा
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बाढ़ प्रभावित नदी घाटी में जलजमाव की समस्या
Posted on 29 Jan, 2015 11:33 PM आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार बिहार की 9.42 लाख हेक्टेयर भूमि में से
मखाना की खेती कर रही महिलाएँ
Posted on 05 Jan, 2015 11:46 AM

मखाना उत्पादन पूरी तरह से मछुआरा समुदाय की महिलाओं के हाथों में है। पुरुष इस पूरी प्रक्रिया में

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