नदी के अस्तित्व की चिंता जरूरी

सुनीता नारायण


नई दिल्ली जनवरी 28, 2009 : भागीरथी बचाओ संकल्प के तत्वावधान में आज यहाँ गाँधी दर्शन के प्रांगण में एक आम सभा का आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित देश के तत्कालीन रजवाडों के वंशजों ने यह प्रण किया कि वे एकजुट होकर सरकार को बाध्य करेंगे कि गंगा की अस्मिता और उसके राष्ट्रीय नदी के स्वरूप को बनाकर रखेगें।

अनशन पर बैठे आई.आई.टी के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. जी. डी. अग्रवाल के समर्थन में आयोजित इस सभा को सम्बोधित करते हुए जोधपुर राजघराने के प्रतिनिधि महाराजा गज सिंह ने कहा कि गंगा नदी को बचाने का कर्तव्य हम सभी का है और इसके लिए डॉ. अग्रवाल द्वारा उठाई गई माँगों को सरकार के सामने पूरी ताकत के साथ रखना चाहिए।

आज की सभा का आयोजन चेतावनी के अन्तर्गत किया गया था कि अगर सरकार द्वारा 28 जनवरी के पहले लोहारी नाग पाला परियोजना पर काम नहीं रुका तो, भी इस आन्दोलन में जुड जायेंगे। उनका कहना था कि उनके पुरखों ने 1916 में तत्कालीन अंग्रेज सरकार के साथ यह समझौता किया था कि हरिद्वार से उपर गंगा पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया जायेगा।

हरिद्वार से पधारे महन्त शिवानन्द ने कहा कि गंगा हमारी अस्मिता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने डॉ. अग्रवाल के साथ छल किया है। उन्होंने कहा कि सभी को एक होकर सरकार को बाध्य करना चाहिए कि वे आस्मिता के इस सवाल को करोडों की धन-दौलत से नहीं तौला जा सकता। उन्होंने सरकार से अपील की कि उसे राष्ट्रीय नदी गंगा का सम्मान करना चाहिए।

संकटमोचन फाउन्डेशन, वाराणसी के महन्त श्री वीरभद्र जी ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय नदी की ओर प्र्याप्त ध्यान नहीं दे रही है। उत्तराखण्ड की पूर्व रियासत टिहरी के प्रतिनिधि श्री मनुजेन्द्र साह ने कहा कि गंगा के प्रवाह को नहीं रोका जाना चाहिए।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद सुश्री सुनीता नारायण ने इस अवसर पर कहा कि किसी भी नदी में प्रदूषण तब तक नहीं रोका जा सकता जब तक उसमें पानी न हो। यह भी एक तथ्य है कि नदी को जीवित रखने के लिए उसके प्रत्येक भाग में पानी का होना आवश्यक है। जल विद्युत परियोजनाओं पर सरकार द्वारा अनुमति दिए जाने के समय केवल उस परियोजना को ध्यान में रखा जाता है न कि नदी के अस्तित्व को। उन्होंने डॉ. अग्रवाल के द्वारा किए जा रहे आमरण अनशन पर कहा कि वे उनके गुरू हैं व उनकी तपस्या अवश्य ही इस आन्दोलन को नया रूप देगी। सभा को सम्बोधित करते हुए डॉ. अग्रवाल ने कहा कि गंगा नदी भारत की पहचान है व भारतीय संस्कृति की पहचान है और इसके उपरी भाग का नैसिर्गक रूप में रहना अत्यधिक आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भग्य है कि गंगत्व के बारे में हमारा ज्ञान आज भी अधूरा है।

सभा को सम्बोधित करते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि पूरे देश में गंगा नदी के लिए एक विशेष सम्मान है व गंगा हमारी संवेदनाओं से जुड़ा मुद्दा है। डॉ. अग्रवाल के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने आपको मुद्दों के साथ जुड़ना चाहिए। इस अवसर पर गाँधी शांति प्रतिष्ठान की सुश्री राधा बहन ने कहा कि डॉ. अग्रवाल की प्रतिबद्धता हम सबके अन्दर होनी चाहिए। गंगा नदी को आस्तित्व से जुड़ा अहम मुद्दा बताते हुए उन्होंने कहा कि गंगा नदी कोई सामान्य नदी नहीं है व न ही गंगा जल कोई सामान्य जल।

कृपया अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - अनिल गौतम : 9412176896
पवित्र सिंह : 011.32088803, 9410706109

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