तरुण भारत संघ, जल बिरादरी सहित कई संगठन गंगा संसद का आयोजन कर रहे हैं। यह आयोजन इस बार के इलाहाबाद महाकुंभ के दौरान 21-23 जनवरी के बीच होगा।
स्थान : इलाहाबाद
तिथि : 21-23 जनवरी 2013
आप जानते हैं, नदियों की पवित्रता और समाज की संस्कृति के संरक्षण व प्रबंधन और पुनर्जीवन हेतु राज, समाज और संत मिलकर कुंभ आयोजित करते थे। कुंभ सिर्फ स्नान और उत्सव नहीं था बल्कि गहन विचारों का गहरा मंथन और चिंतन था। समुद्र मंथन जैसा गहन विचारों का निचोड़ निकालकर समाज को सदैव सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ाने की कोशिश होती थी। कुंभ की कोशिश कुरीति और सुरीति को पहचानने तथा गंदगी और सफाई को अलग-अलग रखने को ही समुद्र के खारे जल में से अमृत का कलश निकालना हमारे विचार मंथन का सार है। इसी का अब रूप विकृत होता जा रहा है।
हम 2013 के कुंभ में मूल चिंतन को स्थापित करने की कोशिश शुरू करें। इसी हेतु 21 जनवरी से 23 जनवरी तक कुंभ में गंगा संसद आयोजित करके हमारी मां गंगा की पवित्रता और अविरलता कायम करने का चिंतन मनन करना सुनिश्चित किया है। हम इस गंगा संसद के दूसरे सत्र में कुंभ के मूल स्वरूप को स्थापित करने का चिंतन आरंभ करना चाहते हैं। आप इस गंगा संसद में अवश्य पधारें।
राजेंद्र सिंह
09414066765
01412391092
स्थान : इलाहाबाद
तिथि : 21-23 जनवरी 2013
आप जानते हैं, नदियों की पवित्रता और समाज की संस्कृति के संरक्षण व प्रबंधन और पुनर्जीवन हेतु राज, समाज और संत मिलकर कुंभ आयोजित करते थे। कुंभ सिर्फ स्नान और उत्सव नहीं था बल्कि गहन विचारों का गहरा मंथन और चिंतन था। समुद्र मंथन जैसा गहन विचारों का निचोड़ निकालकर समाज को सदैव सुधार के रास्ते पर आगे बढ़ाने की कोशिश होती थी। कुंभ की कोशिश कुरीति और सुरीति को पहचानने तथा गंदगी और सफाई को अलग-अलग रखने को ही समुद्र के खारे जल में से अमृत का कलश निकालना हमारे विचार मंथन का सार है। इसी का अब रूप विकृत होता जा रहा है।
हम 2013 के कुंभ में मूल चिंतन को स्थापित करने की कोशिश शुरू करें। इसी हेतु 21 जनवरी से 23 जनवरी तक कुंभ में गंगा संसद आयोजित करके हमारी मां गंगा की पवित्रता और अविरलता कायम करने का चिंतन मनन करना सुनिश्चित किया है। हम इस गंगा संसद के दूसरे सत्र में कुंभ के मूल स्वरूप को स्थापित करने का चिंतन आरंभ करना चाहते हैं। आप इस गंगा संसद में अवश्य पधारें।
राजेंद्र सिंह
09414066765
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