तिथि- 16 जुलाई, 2013, दिन-मंगलवार
समय -प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक।
स्थान- गांधी शांति प्रतिष्ठान,
221-223 दीनदयालउपाध्याय मार्ग, (निकट आईटीओ), नई दिल्ली
निवेदक: उत्तराखंड के लोग
अपील
प्रिय मित्रों,
उत्तराखंड के बारे में आपने मीडिया में जो कुछ देखा, हकीकत उससे कई गुना ज्यादा व्यापक और डराने वाली है। साथियों से मिलकर मैंने महूसस किया कि अपनी तबाही से उत्तराखंड अत्यंत दुखी है और गुस्सा भी। दुखी इसलिए कि इस तबाही ने उन अच्छे-सच्चे ग्रामीणों व अन्य जीव-वनस्पतियों की भी बलि ली, जो इसके दोषी नहीं हैं। गुस्सा इसलिए कि जिन गतिविधियों को खतरनाक मानकर उत्तराखंडवासी लंबे अरसे से सरकारों को चेताते रहे हैं, उनकी आवाज को अब तक अनसुनी किया गया।
वे दो टूक चाहते हैं कि इस आपदा के दोषियों को दण्डित किया जाये; ताकि भाविष्य में कोई ऐसी हिमाकत न करे। वह आगे के रास्ते को भी लेकर दो टूक निर्णय के मूड में है। पुनर्वास के काम को भी वह अब सरकार भरोसे छोड़ने की गलती नहीं करना चाहते। यह ठीक ही है।
मित्रो! मैं मानता हूं कि हिमालय और गंगा के कारण हमारी पूरी भारत भूमि के लिए देव भूमि का जो प्राकृतिक, धार्मिक व आर्थिक महत्व है, उसेहम नकार नहीं सकते। अतः प्रत्येक भारतवासी को उत्तराखंड के दुख और गुस्से में साझा करना चाहिए। संबंधित शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को मजबूर करना चाहिए कि वे उत्तराखंड की दुख औ रगुस्से को सुने। उत्तराखंड के विकास का वही रास्ता चुनें, जैसा उत्तराखंडवासी चाहते हैं।
मित्रो! यह आत्ममंथन का भी मौका है। सोचना चाहिए कि गलती कहां हुई? प्रो. जी. डी. अग्रवाल का अनशन भी बार-बार यही संकेत करने की कोशिश कर रहा है। भविष्य में भारत के किसी भी हिस्से को ऐसा दुर्योग फिर न देखना पड़े, इसके लिए साझे चिंतन की जरूरत बड़ी शिद्दत के साथ महसूस की जा रही है। उत्तराखंड तबाही के सबक से सीखकर चेत जाना समझदारों का काम है। आइये! हम यह काम करें।
विदित हो कि कई अन्य संजीदा जमीनी साथी उत्तराखंड के दुख और गुस्से को लेकर 16 जुलाई को दिल्ली पहुंच रहे हैं: सर्वश्री श्री शमशेर सिंह विष्ट, राजीव लोचन शाह, डा.शेखर पाठक, तरेपन चौहान, कर्नल डिमरी, यू पी एस डबास, शिव डबराल और आदरणीय बहन सुशीला भंडारी, कमलापंत व कई अन्य।
मेरा आप से व्यक्तिगत निवेदन है कि अपना दायित्व मानकर उत्तराखंड के लोगों द्वारा आयोजित उक्त कार्यक्रमानुसार पधारें। उत्तराखंड की आवाज में अपनी आवाज जोड़कर उनकी शक्ति बढायें। यह उत्तराखंड नहीं, पूरे भारत को बचाने का काम होगा।
राजेन्द्र सिंह
एक पानी कार्यकर्ता
तरुण आश्रम, भीकमपुरा किशोरी वाया थानागाजी,
जिला अलवर, राजस्थान
ईमेल : jalpurushtbs@gmail.com,
फोन : 09414066745
/events/amantarana-utataraakhanda-kai-avaaja-saunao