विकास संवाद

विकास संवाद
सातवीं विकास संवाद मीडिया लेखन और शोध फैलोशिप के लिए आवेदन आमंत्रित
Posted on 21 Jan, 2011 11:40 AM

05 फरवरी होगी अंतिम तिथि


भोपाल। वर्ष 2011 के लिए सातवीं विकास संवाद मीडिया लेखन और शोध फैलोशिप की घोषणा कर दी गई है। इस साल प्रदेश के छह पत्रकारों को सामाजिक मुद्दों पर लेखन और शोध करने के लिए फैलोशिप दी जाएगी। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 05 फरवरी है।
आमंत्रण : आठवाँ मीडिया सम्मेलन
Posted on 06 Jul, 2014 01:35 AM
साथियों
विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है। हालाँकि इस बार हम यह राष्ट्रीय सम्मेलन अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे। और इस बार तो थे चुनाव और उसके बाद नई सरकार तो, इस बार सोचा थोडा लेट चलें, लेकिन सब मिल सकें।

आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र 2007 में सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ। चित्रकूट, बांधवगढ़, महेश्वर, छतरपुर, पचमढ़ी फिर सुखतवा (केसला) के बाद इस बार हम यह आयोजन चंदेरी में करने जा रहे हैं। इस बार कई दौर की बैठकों के बाद चंदेरी संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है।

आदिवासी – हमारी, आपकी और मीडिया की नजर में
समय, स्थान- 23,24,25 अगस्त 2014, चंदेरी, जिला- अशोकनगर, मध्यप्रदेश

विस्थापन पर राष्ट्रीय संवाद
Posted on 10 Oct, 2012 02:20 PM
आजादी के बाद और उसके पहले बने बड़े बांधों से उपजी विभीषिका से हम सभी वाकिफ हैं। इन बड़े बांधों के बनने से कितने लोग विस्थापित हैं, इसका कोई एक आंकड़ा सरकार के पास आज तक नहीं है हाँ, बांधों का आंकड़ा है, थोडा बहुत सिंचाई का भी है पर शायद लोग उतना महत्व नहीं रखते हैं, इसलिए लोगों की गिनती नहीं है? पर्यावरणविद वाल्टर फर्नांडीज के मुताबिक़ देश में केवल बांधों से लगभग 3 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। हास्यास्पद यह भी है कि सरकारी ढर्रे और नुमाइंदों ने लोगों की गणना करना उचित नहीं समझा और सरकार के पास भी यही आंकड़ा है।

विस्थापन अब केवल बड़े बांधों का ही परिणाम नहीं रहा। रोज-रोज नए-नए उगते अभ्यारण्य/नॅशनल पार्क और बेतरतीब तरीके से पर्यटन स्थलों से होने वाला विस्थापन अब एक आम बात होती जा रही है। सिंगूर, पास्को, कुडूनकुलम के साथ-साथ देश के अन्य विकास के इन नए प्रतिमानों और इनके लिए चलायी गयी प्रक्रियाओं ने विकास बनाम विनाश की बहस को और मुखर कर दिया है।
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