उमेश यादव
उमेश यादव
धोखा है आपदाओं से जोखिम का बीमा
Posted on 12 Jun, 2014 09:24 PMप्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, सुखाड़ एवं ओलावृष्टि आदि कह कर नहीं आती हैं। लोग इससे बचने के लिए विभिन्न उपायों के साथ-साथ बीमा का भी सहारा लेते हैं। मानव एवं विभिन्न जीव-जंतुओं के साथ-साथ फसलों का भी बीमा होता है। हाल के वर्षों में फसल बीमा के प्रति जागरूकता आयी है। बड़ी संख्या में किसान अपनी फसलों का बीमा कराते हैं। इसमें झारखंड के किसान भी पीछे नहीं हैं। लेकिन, व्यवस्थागत खामियों की वजह से झारबिना ईंधन के चलता है यह लिफ्ट एरीगेशन
Posted on 31 May, 2013 10:39 AMभारतीय सेना से रिटायर्ड हजारीबाग के रहने वाले एक कर्नल ने जल प्रबंधन के लिए देसी पंप ईजाद किया है। यह एक ऐसा एरीगेशन सिस्टम है जिसमें बिना बिजली, डीजल, केरोसिन, पेट्रोल आदि ईंधन के पानी को पाइप के जरिये ऊपर पहुंचाया जाता है। जल प्रबंधन में कर्नल की इस नवीन खोज पर केंद्रित उमेश यादव की रिपोर्ट।पानी का संकट, महंगे पेट्रोल-डीजल और राज्य में बिजली की बदतर स्थिति झारखंड के लिए बड़ी समस्या है। ऐसे में इसका हल तो ढूढ़ना ही पड़ेगा। इन्हीं चुनौतियों से निबटने के लिए प्रकृति जल ऊर्जा पंप का विकास किया गया है। बिना सरकारी मदद के शुरूआत में यह महंगी लगती है। लेकिन, तीन साल के ईंधन खर्च की बचत से ही इसकी लागत वसूल हो जाती है। ऐसे में यह बहुत सस्ती है। हजारीबाग जिले के मासिपिरी गांव निवासी कर्नल विनय कुमार सेना की नौकरी से रिटायर्ड होकर वर्ष 2005 में अपने गांव लौटे। यहां पर उन्होंने ग्रामीणों को जल संकट से जूझते देखा। पानी के अभाव में फसलों को होने वाली क्षति एवं लोगों के जीवन में आने वाली दिक्कतों ने उन्हें बेचैन कर दिया। सेना की नौकरी ने उन्हें वह मानसिक दृढ़ता प्रदान की थी जिसके चलते वह यथास्थितिवादी बन कर नहीं रह सकते थे। इसलिए उन्होंने इस संकट का हल निकालने की ठानी। तीन-चार साल के अथक प्रयास से जो परिणाम सामने आया वह चौकाने वाला था। एक ऐसी खोज सामने थी जो बिना किसी ईंधन के पानी का प्रबंध कर सकता था। यह खोज था प्रकृति जल ऊर्जा पंप। फिर क्या था कर्नल विनय की बांछें खिल उठी। उन्होंने इसे अपने कृषि फार्म में प्रयोग किया।
मुखियाजी से मांगिये शौचालय
Posted on 08 Oct, 2012 05:34 PMगांधी जंयती के मौके पर वर्धा से केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और अभिनेत्री विद्या बालन की मौजूदगी में निर्मल भारत यात्रा की शुरुआत हुई। इस यात्रा का उद्देश्य देश के गांवों को स्वच्छ रहने के लिए प्रेरित करना है। यात्रा 17 नवंबर को बिहार के बेतिया में पहुंच कर संपन्न होगी। इससे पहले भी सरकार की ओर से निर्मल भारत अभियान की शुरुआत की गयी है, जिसका उद्देश्य पूरे भारत को निर्मल बनाना है। इतालाब हैं तो गांव हैं
Posted on 21 Nov, 2012 09:45 AMझारखंड की कुल आबादी का 80 प्रतिशत कृषि एवं इससे संबंधित कार्यों पर निर्भर है। जबकि कृषि योग्य भूमि कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 48 प्रतिशत ही है। इसमें भी सिंचाई सुविधा महज 10 प्रतिशत पर ही उपलब्ध है। जबकि राष्ट्रीय औसत 40 प्रतिशत है। रबी में तो यह और घट जाता है। यानी 90 प्रतिशत से अधिक कृषि वर्षा पर आधारित है। जिस साल बारिश अच्छी हुई उस साल ठीक-ठाक उत्पादन होता है और जिस साल बारिश नहीं हुई, उस साल स्थिति चिंताजनक हो जाती है। पलायन एवं बेरोजगारी बढ़ जाती है।![लहना गांव का मुख्य तालाब](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/lahanatalab_3.png?itok=wH7sIbRg)