सुबह सिंह यादव

सुबह सिंह यादव
जल प्रबंधन-धारणा एवं नीति
Posted on 15 Feb, 2012 11:11 AM
प्रकृति प्रदत्त दुर्लभ साधनों के कुशल उपयोग करके विकास प्रक्रिया को सतत् गति देने के परिप्रेक्ष्य कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये जल स्रोत प्रबंध एक अपरिहार्य दशा बन चुकी है, विशेषकर भारत जैसी विकासोन्मुख अर्थव्यवस्था में जहां वर्षा अनियंत्रित, असामयिक व अनिश्चित हो। वर्षा की इस प्रकृति के कारण होने वाली अर्थव्यवस्था की अस्थिरता से कारगर ढंग से निपटने के लिये उपलब्ध जल स्रोतों के प्रबंध पर वृद्धि
जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु चुस्त कृषि
जलवायु परिवर्तन के कारण मिट्टी, जल और जैव विविधता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। विश्व बैंक के आंकड़ों से विदित होता है कि हर 9 में से एक व्यक्ति भूखा रहता है। विकासशील देशों में 12.9 प्रतिशत जनसंख्या अल्पपोषित है। साथ में यह भी पूर्वानुमान लगाया गया है कि सन् 2050 तक 9 अरब जनसंख्या का पेट भरने के लिए लगभग 70 प्रतिशत अधिक फसल उगानी होगी।
Posted on 10 Aug, 2023 12:06 PM

जलवायु परिवर्तन अर्थ केन्द्रित विकास का परिणाम है, जिसे 21वीं शताब्दी की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। विकास मानव की अपनी क्षमताओं की पहचान और उसमें वृद्धि कराने वाली और बेहतर जीवन शैली प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाने वाली अनवरत प्रक्रिया है। अतः विश्व जनसंख्या के बढ़ने और जीवन शैली में आए परिवर्तन से खाद्य की मांग बढी है, लेकिन बढ़ती आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फसलों

जलवायु परिवर्तन एवं जलवायु चुस्त कृषि,फोटो क्रेडिट-wikipedia
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