संजीव कुमार
भारत उदय एजुकेशन सोसायटी का जैव विविधता पर शपथ ग्रहण अभियान
Posted on 12 Oct, 2012 10:13 AMउत्तर प्रदेश की जैव विविधता के संरक्षण हेतु प्रदेश के 16,966.22 वर्ग किमी वन क्षेत्र में से लगभग 5,170 वर्ग किमी क्षेत्र में 1 राष्ट्रीय उद्यान, 24 वन्य जीव विहार स्थापित किये गये हैं, जोकि प्रदेश के वन क्षेत्र की लगभग 33.6 प्रतिशत तथा कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आड़ू, जामुन व देसी कीकर के पेड़ों की संख्या घटी हैं। चील, गिद्ध, गोरैया, बयां आदि पक्षियों की संख्या तेजी से घटी हैं। बयां के घोंसले पहले वृक्षों पर काफी दिखायी देते थे लेकिन अब न के बराबर हैं।
भारत उदय एजुकेशन सोसाइटी ने सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन लखनऊ (यू.एन.डी.पी.) के सहयोग से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बच्चों को जैव विविधता को बचाने की शपथ ली। संस्था ने शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, लखीमपुर खीरी, मुरादाबाद आदि जिलों में यह अभियान सभी सरकारी/गैर सरकारी विद्यालयों में चलाया गया। इस अभियान के शुरुआती दौर में बच्चों को जैव विविधता के विषय में विस्तार से बताया गया तथा शपथ ग्रहण का आयोजन भी किया गया। इस अभियान के अन्तर्गत संस्था ने पाया कि वास्तव में कईं पेड़-पौधे, पशु-पक्षी विलुप्त हो चुके हैं या होने के कगार पर हैं।बरसात में भी सूखी मृत प्राय कृष्णी नदी
Posted on 01 Aug, 2012 02:23 PMस्वच्छ जल से कल-कल ध्वनि नाद करने वाली कृष्णी नदी के किनारे बसने वाले गांव इस नदी में नहाते थे, पशुओं को पिलाते
राजा मोरध्वज के किले में रोगों से मुक्ति प्रदान करता प्राचीन कुआं
Posted on 09 Jul, 2012 02:24 PMइस कुएं के पानी की यह खासियत है कि दाद, खाज, खुजली आदि के रोग इसके स्नान से दूर हो जाते है। क्षेत्रीय लोग एवं दू
जर्जर स्थिति में डाकू सुल्ताना के किले की ऐतिहासिक बावड़ी
Posted on 16 Jun, 2012 03:28 PMकिले के चारों कोनों पर चार कुएं बने हुए हैं, जो अब सूख चुके है। ये कुएं किले की दीवार के अंदर इस प्रकार से
अवैध चमड़ा उद्योग से जल एवं वायु जनित रोग
Posted on 16 Apr, 2012 02:46 PMदिल्ली बाईपास पर स्थित गांव शोभापुर के लोगों का बिमारियों के कारण बुरा हाल है। 4300 की आबादी वाले इस गांव के लोग चंद लोगों के कारण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हो रहे हैं। गांव में 20-25 मालिक लोगों के इस व्यवसाय के जुड़े होने के कारण पूरे गांव की आबादी झेल रही है। वर्तमान में इस व्यवसाय में 150-200 मजदूर भी संलग्न है। भारत उदय एजूकेशन सोसाइटी के निदेशक संजीव कविलुप्त होने के कगार पर महाभारतकालीन खांडव वन क्षेत्र
Posted on 05 Mar, 2012 10:20 AMखांडव वन को बचाने के लिए उपाय करना बहुत जरूरी है अन्यथा यह जो थोड़ा बहुत वन बचा है वह भी नष्ट हो जायेगा। इसमें ह
भूगर्भ जल का नीचे खिसकना खतरनाक संकेत
Posted on 25 Feb, 2012 06:26 PMमेरठ जनपद में किसानों द्वारा फसलों की सिंचाई में 85 प्रतिशत भूजल का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि सिचाई हेतु मात्र
नदी के जल जनित रोगों से होता नारकीय जीवन
Posted on 17 Feb, 2012 01:32 PMकृष्णी नदी गांव के पूर्व दिशा में बहती है। जब हवा चलती है तो नदी के सड़े हुए पानी से सांस लेना भी दूभर हो जाता है। यह नदी गांव के लिए मच्छर बनाने की फैक्ट्री बन चुकी है। भूगर्भ जल कुछ समय बाद ही पीला हो जाता है। महिलाओं के गहने काले पड़ जाते हैं। इस गांव के लड़के शादी के लिए भी मोहताज हो चुके हैं। अन्य गांव के लोग इस गांव में अपनी लड़कियों की शादी नहीं करते। गांव के लोगों का अधिकांश धन स्वच्छ पानी के लिए व बिमारियों के लिए खर्च करते हैं। गांव वालों ने शासन एवं प्रशासन स्तर पर नदी के किनारे लगे उद्योगों को हटाने के लिए काफी प्रयास किये। लेकिन कोई सुखद परिणाम नहीं निकला।
आज भारत सहित दुनिया के अधिकतर देशों में जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या बना हुआ है। यह प्रदूषण सतह पर बहने वाले पानी तथा भूजल दोनों में समान रूप से फैल रहा है। जिसका कारण औद्योगिक विकास तथा बदलती जीवन शैली है। प्रदूषित होता जल मानव समाज के साथ-साथ पूरे वातावरण को भी दूषित कर रहा है। स्वच्छ पानी पीना मनुष्य का मानवाधिकार है। परन्तु मानवाधिकारों का हनन किस प्रकार हो रहा है यह हिण्डन नदी के किनारे बसे गाँवों में आसानी से देखा जा सकता है। हिण्डन व उसकी सहायक नदियों के ऊपर गहन शोध कार्य किया गया था। इस दौरान पहले तो हिण्डन व उसकी सहायक नदियों में बहने वाले पानी का परीक्षण कराया गया तथा उसके पश्चात इन नदियों के किनारों के बारह गांवों का स्वास्थ्य संबंधी अध्ययन किया गया तथा आठ गांवों के भूजल का परिक्षण भी कराया गया।