इसलिये ढह गया शिवनाथ नदी पर बना एनीकट

निर्माण कार्य में रेत और गिट्टी का उपयोग नहीं किया गया। कंक्रीट मिक्स का अनुपात सही नहीं होने से अमानक कंक्रीट कार्य स्तरहीन पाया गया। बावजूद इसके विभाग द्वारा अमानक कार्यों का माप लेकर भुगतान किया गया। एनीकट के निर्माण में तकनीकी खामियों का भी जिक्र किया गया है। यह बताया गया कि एनीकट का निर्माण रिवरबैंड में किया गया जो कि तकनीकी दृष्टि से उपयुक्त नहीं है।। शिवनाथ नदी पर निर्माणाधीन सहगाँव एनीकट के ढहने के मामले की जाँच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं। मुख्य सचिव तकनीकी परीक्षक (सीटीई) की जाँच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि करीब 7 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए इस एनीकट की गुणवत्ता भी स्तरहीन थी।

जल संसाधन विभाग के प्रमुख अभियन्ता एचआर कुटारे ने बताया कि सीटीई की रिपोर्ट मिलने के बाद गड़बड़ी के लिये जिम्मेदार विभागीय अफसरों पर कार्रवाई के लिये राज्य सरकार को लिखा गया है। सीटीई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि जहाँ जरूरत ही नहीं थी, वहाँ एनीकट निर्माण कराया गया। इसके लिये सर्वे तक नहीं किया गया।

और-तो-और प्रस्तावित कार्य स्थल को बदलकर अन्य जगह पर निर्माण कराया गया। यह पाया गया कि विभागीय अफसरों ने अमानक कार्य का माप लेकर ठेकेदार को करीब साढ़े पाँच करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान भी कर दिया। खास बात यह है कि इस पूरे मामले में न तो विभागीय अफ़सर और न ही ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है।

चार महीने पहले दुर्ग जिले के धमधा के ग्राम सहगाँव के समीप शिवनाथ नदी पर निर्माणाधीन एनीकट पहली बारिश में ही ढह गया था। इस पर स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। इसके बाद सरकार ने मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) से इस पूरे मामले की जाँच कर प्रतिवेदन माँगा था। करीब 10 दिन पहले सीटीई ने अपनी रिपोर्ट सरकार को दी है। जाँच में हर स्तर पर खामियाँ पाई गईं।

सीटीई संगठन ने एनीकट निर्माण कार्य स्थल का 3 नवम्बर को निरीक्षण किया और प्रकरण से जुड़े दस्तावेज़ों का अवलोकन किया। जाँच प्रतिवेदन में यह बताया गया कि शिवनाथ नदी पर सहगाँव एनीकट योजना के लिये 6 करोड़ 81 लाख रुपए मंज़ूर किये गए।

इस योजना से निस्तारी के अलावा जेके लक्ष्मी सीमेंट कम्पनी को पॉवर प्लांट के लिये 1.64 मिलियन घनमीटर पानी दिया जाना है। बिलासपुर के ठेकेदार पवन कुमार अग्रवाल को एनीकट निर्माण का ठेका दिया गया था। यह काम 10 अगस्त 2015 तक पूरा होना था। इस पर 5 करोड़ 13 लाख रुपए खर्च किये जा चुके हैं।

मगर योजना पूरी नहीं हुई और बारिश में ही एनीकट ढह गया। इसके बाद सीटीई ने इस प्रकरण से जुड़े दस्तावेज़ों का अवलोकन किया। जाँच प्रतिवेदन में यह बताया गया कि शिवनाथ नदी पर सहगाँव एनीकट योजना के लिये 6 करोड़ 81 लाख रुपए मंजूर किये गए।

जाँच प्रतिवेदन में यह बताया गया कि शासन को प्रेषित प्राक्कलन और स्वीकृत प्राक्कलन प्रतिवेदन के आँकड़े भिन्न हैं। पूर्व में प्रस्तावित निर्माण कार्य स्थल को परिवर्तित किया गया है, अन्य कार्य स्थल का चयन कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। एनीकट निर्माण स्थल, पूर्व में प्रस्तावित निर्माण स्थल से लगभग आधा किलोमीटर डाउन स्ट्रीम में बनाया गया।

प्रतिवेदन में यह बताया गया कि सर्वेक्षण कार्य सम्पादित नहीं किया गया है, जो कि एनीकट निर्माण के लिये जरूरी होता है। प्रथम चरण के प्राक्कलन में सर्वेक्षण कार्य के लिये प्रावधान किया जाता है। सहगाँव एनीकट निर्माण कार्य के शासन को प्रेषित प्रथम चरण में प्राक्कलन में सर्वेक्षण कार्य के लिये करीब एक करोड़ 94 लाख रुपए का प्रावधान भी किया गया था।

निर्माण कार्य स्थल डाउनस्ट्रीम में चयन करने के परिणामस्वरूप जलग्रहण क्षेत्र वृद्धि हुई और इसका आकलन नहीं किया गया। जल ग्रहण क्षेत्र में वृद्धि होने के बाद भी जल गहण क्षेत्र को यथावत मानकर डिजाइन किया गया है, जो कि तकनीकी दृष्टि से त्रुटिपूर्ण है।

कार्यस्थल पर पहले से ही जल भराव होता रहा है, बावजूद इसके एनीकट का निर्माण किया जाना उचित नहीं है। रिपोर्ट में निर्माण कार्य में गुणवत्ता को स्तरहीन ठहराया गया। यह कहा गया है कि नदी में विंगवाल का फ़ाउंडेशन नहीं किये जाने के कारण अपस्ट्रीम प्रेसर नदी के तेज बहाव के कारण दीवार पूर्णत: ढह गई, फिर ढही हुई दीवार को प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि कंक्रीट का कार्य स्तरहीन किया गया है।

जाँच रिपोर्ट में गुणवत्ता के सम्बन्ध में गुण नियंत्रण इकाई द्वारा दिये गए निर्माण में अमानक रेत का उपयोग किया गया। साथ-ही-साथ निर्माण कार्य में उपयोग की गई सामग्री अमानक होने और कंक्रीट कार्य स्तरहीन रहा।

रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है कि निर्माण कार्य में रेत और गिट्टी का उपयोग नहीं किया गया। कंक्रीट मिक्स का अनुपात सही नहीं होने से अमानक कंक्रीट कार्य स्तरहीन पाया गया। बावजूद इसके विभाग द्वारा अमानक कार्यों का माप लेकर भुगतान किया गया। एनीकट के निर्माण में तकनीकी खामियों का भी जिक्र किया गया है। यह बताया गया कि एनीकट का निर्माण रिवरबैंड में किया गया जो कि तकनीकी दृष्टि से उपयुक्त नहीं है।

एनीकट के अपस्ट्रीम में खुदाई से प्राप्त मिट्टी का ओवरबर्डन देखा गया, जिसे निर्माण कार्य के दौरान हटाया जाना चाहिए था। ऐसा न होने से बाढ़ के दौरान एनीकट का बाँया स्थल ध्वस्त हो गया। रिपोर्ट में यह कहा गया कि एनीकट निर्माण कार्य में निर्माण के दौरान प्रयुक्त सामग्री का मिश्रण, अनुपात, गुणवत्ता, कांपेक्सन तथा क्यूरिंग का ध्यान नहीं रखा गया।

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Post By: RuralWater
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