‘नदी के पुनर्जीवन और छत्तीसगढ़ को दुष्काल मुक्त करने’ के विषय पर रोटरी क्लब में आयोजित जल चौपाल के दौरान सिंह ने कहा कि बीते 15 वर्षों में यहाँ की कई नदियों का सूखना ऐसा कालचक्र है, जिसमें राज्य चलाने वालों की आँखों का पानी सूख गया है और नेता ठेकेदारों को आगे करके मुनाफा कमाने में लग गए हैं।
मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह का शनिवार सुबह आठ बजे खारुन नदी के महादेव घाट पर पहुँचे। नदी की दुर्दशा देखी तो बोल उठे, ‘यह क्या हालत है और क्यों है?’ जब उन्हें साबरमती रिवर फ्रंट की भाँति खारुन को खूबसूरत बनाने की योजना के बारे में बताया तो कहने लगे, “तुम माँ को यह देखकर प्यार करोगे कि वह कितनी सुंदर है? पहले उसका गला घोंठ दिया, अब कहते हो खूबसूरत बनाएंगे। माँ यदि आईसीयू में भर्ती है तो क्या उसका चेहरा साबुन धोओगे, बिंदी लगाओगे, बाल ठीक करोगे या चमकदार कपड़ा पहनाओगे? यदि सचमुच नदी को जिंदा करना है तो तैयारी करो कि इसमें बारह महीने साफ पानी बहेगा कैसे!” सिंह मानते हैं कि खूबसूरती के नाम पर यहाँ 1,400 करोड़ रुपए खर्च हुए तो ठेकेदारों को फायदा होगा और कुछ पैसा नेताओं की जेब में जाएगा।अब नहीं रहेगी सीट खाली
दुर्ग जिले के भोथली ग्राम पंचायत भवन में राजेन्द्र सिंह से चर्चा के दौरान ग्रामीण बताते हैं कि कोई बीस साल पहले यह नदी बारह महीने बहती थी, हर समय नदी का पानी पीते और नहाते थे। अब इतनी बदबू आती है कि उसके पास जाना भी मुश्किल। सिंह बताते हैं कि यह नदी तभी बचेगी जब बरसात के अलावा इसमें कोई पानी न जाए। यहाँ तक कि गंदे पानी को भी ट्रीटमेंट करके उसे नदी की बजाय दूसरे जगहों पर इस्तेमाल किया जाए, क्योंकि गंदगी मिलने से यदि नदी की सेहत खराब रही तो सबकी सेहत खराब रहेगी। आखिर में सरपंच गंगा प्रसाद निषाद यह निर्णय लेते हैं कि रायपुर का गंदा पानी खारुन नदी में रोकने के मुद्दे पर जल्द ही ग्राम सभा में प्रस्ताव रखा जाएगा।
जल पुरुष के सूखे से मुक्ति के मंत्र
- भूजल भंडारण, प्रदूषण, हरियाली, मिट्टी के कटाव, नदी में गाद जमाव और जल-प्रवाह जैसी बातों से जुड़ी जानकारियों के लिये ‘जल साक्षरता केंद्र’ बनाए जाएं।
- नदियों के अलावा तालाबों पर अब कंपनियों की नजर है, इसलिए सामुदायिक विकेन्द्रीकरण का मॉडल तैयार किया जाए।
- नदी, तालाबों पर कब्जा रोकने के लिये उनकी जमीन को चिन्हित करके सीमांकन किया जाए।
- नदियों को पुनर्जीवित करने के लिये कानून बनाया जाए। पंचायत स्तर पर भी यह कानून बनाए जा सकते हैं।
- बदलते मौसम और फसल चक्र को ध्यान में रखते हुए प्रदेश की नई कृषि नीति बनाई जाए।
क्योंकि आँखों का पानी सूख गया
‘नदी के पुनर्जीवन और छत्तीसगढ़ को दुष्काल मुक्त करने’ के विषय पर रोटरी क्लब में आयोजित जल चौपाल के दौरान सिंह ने कहा कि बीते 15 वर्षों में यहाँ की कई नदियों का सूखना ऐसा कालचक्र है, जिसमें राज्य चलाने वालों की आँखों का पानी सूख गया है और नेता ठेकेदारों को आगे करके मुनाफा कमाने में लग गए हैं।
Path Alias
/articles/nadaiyaon-kai-haalata-aisaiyauu-maen-bharatai-maan-jaaisai-ilaaja-karanaa-baehada
Post By: Hindi