सीएसई

सीएसई
दिल्ली का जल कानून
Posted on 21 Dec, 2009 02:39 PM
जनवरी 2001 में सेंट्रल ग्राउंड वाटर अथारिटी (सीजीडब्ल्यूए) द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में व्यक्ति / एजेंसी द्वारा बिक्री के लिए भूजल का पानी निकालने पर पाबंदी लगाई गई।
हरियाणा में एक नई शुरुआत
Posted on 21 Dec, 2009 02:36 PM
हरियाणा स्थित फरीदाबाद में एक जिमखाना क्लब है, जिसने अपने परिसर में वर्षा जल संग्रहण व्यवस्था करके तुरन्त ही फरीदाबाद में वर्षा जल संग्रहण अभियान छेड़ दिया है। दिल्ली के निकट होने के कारण यहां भी बड़ी तेजी से शहरीकरण हो रहा है। फरीदाबाद के सेक्टर 15ए स्थित इस क्लब ने एक खास तरह के फिल्टर का उपयोग किया है, जिससे बोर में सतह के पानी का पुनर्भरण होने से पहले गाद, मिट्टी साफ हो जाए। इस नई फिल्टर व्यवस्थ
पंचशील क्लब में वर्षा जल संग्रहण
Posted on 21 Dec, 2009 02:29 PM
वर्षा जल संग्रहण व्यक्तिगत स्तर पर करने की बजाय सामुदायिक स्तर पर करना ज्यादा कारगर होता है, क्योंकि इसमें समुदाय के लोग मिलकर क्रियान्वयन की लागत का भार उठाते हैं और दूसरे चूंकि पुनर्भरण का ढांचा कालोनी के क्षेत्र भर में फैला होता है, अत: कालोनी के कुछ घरों की बजाय पूरे क्षेत्र के भूजल का पुनर्भरण करना ही संभव होता है। पंचशील पार्क कालोनी ने समुदाय आधारित वर्षा जल संग्रहण के प्रयास से अन्य आवासीय
बुंदेलखंड की जल व्यवस्था
Posted on 21 Dec, 2009 02:23 PM
बुंदेलखंड इलाके में काफी कम बारिश होती है और इसकी अवधि भी बस दो महीने की है। ऊपर से इसकी मिट्टी मोटी होती है तथा ग्रेनाइट आधार होने के कारण भूजल भंडारण स्थल ज्यादा बड़ा नहीं होता है। मोटी मिट्टी होने के कारण इसमें ज्यादा समय तक पानी नहीं ठहर पाता है। इसीलिए यह जरूरी है कि इसे निरंतर रूप से पानी मिलता रहे, जिससे ज्यादा से ज्यादा जल संग्रहण किया जा सके।
सामुदायिक पहल से संकट टला
Posted on 21 Dec, 2009 02:18 PM
कोलवान घाटी के किसान एक बात तो अच्छी तरह से जानते हैं कि एक ऐसे क्षेत्र में किस प्रकार से जल संरक्षण और जल संग्रहण करें, जहां बारिश के मामले में टाल-मटोल होता रहता है। पुणे से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुल्शी तालुका के कुछेक गांवों के जल समुदायों ने इस दिशा में एक मिसाल खड़ी की है कि किस प्रकार से यह अपनी समूची आबादी के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करें और साथ ही इस बहुमूल्य चीज का किस तरह से समान
जल पंढाल से समृद्धि
Posted on 21 Dec, 2009 01:03 PM
आखिर पानी ही एक ऐसा अनमोल प्राकृतिक संसाधन है, जो मानव जाति के विकास में अहम् भूमिका निभाता है। पानी न केवल जिंदा रहने के लिए जरूरी है, बल्कि इससे खाद्यान्न सुरक्षा, पर्यावरणीय सुरक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के लक्ष्य को हांसिल करने में भी मदद मिलती है। इस प्रकार पानी की किसी भी तरह की कमी से समुदाय का विकास अवरुद्ध होता है। यह कहानी एक सूखाग्रस्त क्षेत्र की है, जहां उपलब्ध संसाधनों के संरक्षण
जल योद्धाओं की सूखे पर विजय
Posted on 21 Dec, 2009 12:52 PM
पानी और सामाजिक चिंताओं के प्रति विशेष लगाव के कारण श्री पवन गर्ग रायपुर स्थित एक गैर-सरकारी संगठन “रूफ वॉटर हार्वेस्टिंग एण्ड वाटर मैनेजमेंट सोसायटी” के तहत अपने प्रयास शुरु करने के लिए उत्साहित हुए।
जागरूक शहर फुकुओका
Posted on 21 Dec, 2009 12:44 PM
फुकुओका शहर पिश्चमी-दक्षिण जापान के एक बड़े द्वीप उत्तरी क्यूंशू में स्थित है, जिसकी आबादी 1 करोड़ 30 लाख के करीब है। यह देश का चौथा बड़ा व्यापारिक शहर है। सन् 1978 में यहां भीषण सूखा पड़ा था, जिससे यहां के प्रशासन को 278 दिनों तक पानी की सेवाएं रोकनी पड़ी यानी, उन्हें रोजाना 12 घंटे तक के लिए पानी रोकना पड़ा। इसके कुछ भू-भागों में तो बिल्कुल पानी नहीं था। इस स्थिति में उन्हें पानी संसाधन का मोल स
गोकक में हरियाली लौटी
Posted on 21 Dec, 2009 12:37 PM
गोकक कर्नाटक स्थिति बेलगांव से 70 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक छोटा औद्योगिक नगर है, जहां के लोगों ने अपनी पानी की समस्या का खुद समाधान खोजा। फिर क्या था इस शहर में फिर से पानी आ गया और हरियाली भी लौट आई। पिछले एक दशक में 340 हेक्टेयर बंजर भूमि को वृक्षारोपण के दायरे में लाया गया, जिसमें 8.5 लाख पौधे उगे। इस काम में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार उत्पन्न हुए। एपी गोयनका मेमोरियल एवार्ड ने सन् 1988 में
कोंकण में गोकुल का गौरव
Posted on 10 Dec, 2009 05:08 PM
कोंकण महाराष्ट्र का तटीय क्षेत्र है जिसकी एक ओर पश्चिमी घाटों का वन प्रदेश है और दूसरी ओर अरब सागर। यह पट्टीनुमा प्रदेश है जिसकी चौड़ाई कहीं 20 किमी. है तो कहीं 40 किमी.। यहां औसत सालाना बरसात 2,500 से 5,000 मिमी.
farm pond
×