शैलेन्द्र सिन्हा

शैलेन्द्र सिन्हा
जंगल अनमोल है
Posted on 01 Sep, 2015 12:13 PM
जंगल आधारित विकास योजना जीविका के लिये अनिवार्य हैं, झारखण्ड में ग्
मनरेगा की झूठी कहानी से नहीं होता भारत निर्माण
Posted on 21 Jun, 2013 03:13 PM
विज्ञापन में केवल गांव के बारे में ही झूठ नहीं दर्शाया गया है बल्क
अकेले किसान ने खोदा तालाब
Posted on 02 Feb, 2012 11:28 AM
दुनिया में इतिहास रचने वालों की कोई कमी नहीं है। कुछ लोग अपना नाम चमकाने के लिए इतिहास रचते हैं तो कुछ लोग निःस्वार्थ रूप से अपना कार्य करते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता है कि उन्होंने इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया है। बिहार के गया जिले के दशरथ मांझी एक ऐसे ही इतिहास रचयिता रहे हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के ईलाज में बाधक बने पहाड़ को काटकर सड़क निर्माण किया था। दशरथ मांझी की कहानी आज बिहार के स्कूली किताबों में दर्ज है जिसका शीर्षक है-पहाड़ से ऊंचा आदमी। ठीक ऐसी ही कहानी है झारखंड के किसान श्यामल चौधरी की है। जिन्होंने अकेले ही अपने अथक प्रयास से तालाब का निर्माण कर डाला और गांव के खेतों के लिए सिंचाई का पानी उपलब्ध करा दिया। दुमका जिला स्थित जरमुंडी ब्लॉक के विशुनपुर-कुरूआ गांव के श्यामल चौधरी आज क्षेत्र के किसानों के लिए आदर्श बन चुके हैं। सौ गुणा सौ की लंबाई तथा 22 फीट गहरे इस तालाब को खोदने का काम उन्होंने 14 वर्ष में पूरा कर डाला।

बांस रोजगार से स्वावलंबी हुई महिलाएं
Posted on 09 Jun, 2011 12:14 PM
दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड के लवाडीह गांव की बसंती टुडू आज प्रतिमाह दस हजार रुपये कमा रहीं हैं, उनके पति सुभाष हासदा एक सिह्हस्त कारीगर है, उसे मुख्यमंत्री अर्जून मुंडा ने सम्मानित किया है।
बांस में आजीविका
Posted on 15 Feb, 2015 08:39 AM
बांस के क्षेत्र में सक्रिय सामाजिक संगठन इवौन्जिकल सोशल एक्शन फोरम
फूलों की खेती से महका जीवन
Posted on 13 Sep, 2010 02:43 PM

झारखंड की उपराजधानी के किसान सोनोत हांसदा ने किसान के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना ली है।

हांसदा के जीवन में अचानक परिवर्तन आया और वे मिट्टी से सोना पैदा करने की लगन में आज किसानों के आदर्श बन गए। बी.ए. तक शिक्षित हांसदा को चार साल पूर्व कृषि में कोई रूचि नहीं थी। भूतपूर्व सैनिक के पुत्र होने के कारण एवं जमीन की बहुतायत से उन्हें रोजी रोटी की कोई समस्या नहीं थी।
×