Posted on 27 Jul, 2013 02:56 PMआदिवासियों की वनों से बेदखली उन्हें भुखमरी की कगार पर ले आई है। बदले परिवेश में उनका पारंपरिक भोजन भी उनसे छिन गया है। बढ़ती महंगाई ने उनके पेट को जैसे और सिकोड़ दिया है। पीढ़ियों से वनों पर आश्रित समाज को वहां से बाहर “हकालते’’ समय शासन-प्रशासन ने इस बात पर गौर नहीं किया कि वे अंततः खाएंगे क्या? रीतेश पुरोहित गोंड समुदाय की पोषण परंपरा का अध्ययन कर रहे हैं।