राजा चौरसिया

राजा चौरसिया
ए बादल जी
Posted on 09 Jul, 2010 09:28 AM

कभी गरजते बादल जी,
कभी बरसते बादल जी।
बंदर, हाथी, घोडे बन,
सुंदर दिखते बादल जी।

दौड़-धूप दिन-रात, मगर
तनिक न थकते बादल जी।
बूंदा-बांदी और झड़ी,
रस्ते-रस्ते बादल जी।

धरती पर हरियाली की,
रचना रचते बादल जी।
इंध्रधनुष के देते हैं,
प्रिय गुलदस्ते बादल जी।

बिन पानी सब सून रहे,
खूब समझते बादल जी।
×