पुष्पराज

पुष्पराज
आकाश की चाह में
Posted on 08 Feb, 2015 02:09 PM

पक्षियों की उड़ान के साथ जीवन की उड़ान भरने वाले अली हुसैन देश की सीमाएं लगातार लांघते रहे हैं। दुनिया के दस देशों के पक्षी वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित कर चुके अली भले ही भारत की शान बढ़ा रहे हैं, अपने देश में उन्हें एक उपेक्षित और अभाव भरी जिन्दगी ही मिली है। यह अलग बात है लंदन, अमेरिका और अपने देश की पत्र-पत्रिकाओं की सुर्खी में रहे अली हुसैन आज दुनिया के

नर्मदा में जमीन हक का हल्ला बोल
Posted on 23 Feb, 2012 05:35 PM

सरदार सरोवर की डूब से प्रभावित सबसे बड़ी आबादी मध्य प्रदेश की है। मध्य प्रदेश के 193 गांवों में अभी भी डेढ़ लाख से बड़ी आबादी निवास कर रही है, फिर एनवीडीए ने विस्थापितों की स्थिति को ‘‘जीरो बैलेन्स’’ क्यों बताया? सत्याग्रह स्थल पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक पोस्टर में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को नर्मदा घाटी ‘‘विस्थापन’’ प्राधिकरण लिखा गया है। पहाड़ के 41 और निमाड़ के 17 सहित डूब में कुल 58 आदिवासी गांव प्रभावित हैं। मध्य प्रदेश के ज्यादातर पहाड़ी गांवों के सड़क संपर्क पथ वर्षों पूर्व डूब में समा गए हैं। कई गांवों की खेती-बाड़ी, घर-बार डूब चुके हैं।

कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कथा “पूस की रात” के असली नायक 80 साल बाद भी पूस की रात में फसल बचाने के लिये नहीं, फसल उगाने की जमीन के हक के लिये पिछले दो महीनों से “जमीन हक सत्याग्रह” चला रहे हैं। अगर आप 'पूस की रात' का संग्राम जानना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिला के जोबट में शासकीय कृषि फार्म की 87 एकड़ जमीन को अपने कब्जे में लेकर हल जोत रहे आदिवासियों से मिलिये। सरदार सरोवर की डूब से प्रभावित विस्थापित आदिवासियों ने 24 नवम्बर 2011 को इंदौर से 225 कि.मी. दूर स्थित जोबट में मजबूत कंटीले लौह बेड़ों के घेरे को तोड़कर शासकीय कृषि फार्म हाउस पर अपना कब्जा जमाया और खुले आकाश में “जमीन हक सत्याग्रह” शुरू कर दिया। 25 वर्षों से शांतिपूर्वक अहिंसक आंदोलन कर रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के सैकड़ों आदिवासियों ने फार्म हाउस पर कब्जा कर सरकारी कर्मचारियों को सरकारी खेती करने से रोक दिया
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