पुरुषोत्तम
पुरुषोत्तम
वैदिक-पौराणिक चिन्तन का गंगा तत्त्व
Posted on 16 May, 2015 03:24 PM‘वह ध्रुव-रूपी शैल शिखर से उतरती है। दुग्ध की तरह श्वेत धवल है। पूरी सृष्टि में वह व्याप्त है। उसका शब्द (अट्टहास) बहुत ही भयंकर है। वह अन्तरिक्ष में समुद्र की तरह विशाल झील का निर्माण करती है। उसे धारण करने में पर्वतगण समर्थ नहीं। महादेव ने उसे एक लाख वर्ष से धारण कर रखा है। वह पवित्रतम और पुण्यदायिनी है। उसके स्पर्श मात्र से सारे पापों से मुक्ति मिल जातवर्षा जल संरक्षण का महत्व एवं विधियां | Importance and methods of rain water conservation
Posted on 16 Jan, 2024 01:50 PMजल ही जीवन है साथ ही अमुल्य धरोहर । जलसंख्या के वृध्दि से कृषि पशुपालन उद्योग धन्धो एवं पीने के पानी की मांग भी बढ़ रही है। इसके साथ ही वन क्षेत्र कम हो रहे हैं जिसके परिणाम स्वरुप बरसात ka पानी रुककर धरती में समा नहीं पाता फलस्वरुप धरती का जलस्तर 1 से 1.5 मी.