पंकज कुमार
पंकज कुमार
पर्वतीय क्षेत्रों में ड्रॉपस्टेयर की उपयोगिता
Posted on 08 Apr, 2014 03:52 PMड्रॉपस्टेयर क्या है?नालों एवं गदेरों में पत्थरों की सीढ़ीनुमा ढंग से चिनाई करके जल निकास के लिए बनाए गए कार्य को ड्रॉपस्टेयर कहते हैं।
महोबा में नम भूमि दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन
Posted on 01 Feb, 2014 11:02 PMसंगोष्ठी में जल संचयन के लिए तालाबों का निर्माण करने और पेड़ो की खेती करने वाले किसानों को इन कार्यो को करने के लिए प्रेरित करने वाले संगठनों/संस्थाओं/विभागों के प्रमुख प्रतिनिधियों,जनपद के प्रमुख विभागों के अधिकारियेां को आंमत्रित किया गया है।
02 फरवरी 2014/सूखे बुन्देलखण्ड में नम भूमि दिवस वेटलैण्ड पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाना कोई नई बात नहीं है। पर इस संगोष्ठी के पीछे एक आशा की किरण नजर आ रही है। हालांकि इस इलाके से भूमि वह भी नम बनी रहे उम्मीद से बाहर की वस्तु है। इस विशेष क्षेत्र के आजादी के पहले तक वन सम्पदा विशेष क्षेत्र कहा जाना आश्चर्य की बात नहीं थी। पर इधर के कुछ दशकों में वनों के क्षरण और उजाड़ की बयार ही चल पड़ी । इसके पीछे कई कारण बताये जाते हैं। एक बडी वजह भूमि में नमी बनाये रखने वाली विधियों का बेइन्तिहा विनाश भी शामिल है। जो 70 के दशक से बड़ी तेजी से हुआ है। इस विनाश के लिए इन इलाको में चकबन्दी का होना और नहरे ट्यूबवेल से सिंचाई की परम्परा का विकास का सर्वाधिक योगदान हैं।उदयपुर में स्थित झामरकोटरा खनन क्षेत्र का भू-विज्ञानीय अध्ययन
Posted on 23 Dec, 2011 02:56 PMखनिज संसाधन भूगर्भ से निकाले जाने वाले वे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक व रासायनिक सहयोग से बनते हैं। खनिज कुछ निश्चित स्थानों पर ही मिलते हैं। भारत में खनिजों का वितरण असमान है। उत्तरी मैदानों में खनिजों की कमी पाई जाती है क्योंकि यहाँ आधार शैलों पर नदियों द्वारा मिट्टी जमा कर दी गई है। हिमालयी क्षेत्रों में भी खनिजों की कमी है एवं इनका खनन मंहगा पड़ता है। यहाँ अधिकतर खनिज पदार्थ प्रायद्वीप भारत में मिसुखाड़ का शिकार हो गया बिहार
Posted on 02 Sep, 2010 09:38 AMउत्तरी बिहार के कुछ इलाकों में आए बाढ़ के बारे में टीवी चैनल पर खबर देखने या फिर किसी सामाचार पत्र में खबर पढ़ कर यह अंदाजा मत लगाइए कि बिहार में इस साल भी खूब बारिश हो रही है। दरअसल बिहार के कुछ इलाकों में आई बाढ़, नेपाल की नदियों से बहकर आया पानी है जिसकी वजह से कुछ क्षेत्र जलमग्न हो गए हैं। लेकिन इस पानी से किसानों का भला नहीं होने वाला है।