Posted on 04 Jul, 2011 10:44 AMगंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए निगमानंद से पहले भी कई बार आंदोलन और अनशन हो चुके हैं लेकिन जब एक संत की आमरण अनशन से मौत होती है तब सरकार का ध्यान उनकी मांग पर जाता है और इसके बाद राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप के अखाड़े में उतर आते हैं। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की लड़ाई लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले संत निगमानंद की मौत पर सियासी रोटियां सेंकने का सिलसिला तेज हो गया है । प्रदेश सरकार द्वारा इस मामले में स्वयं को बचाने के लिए की गई सीबीआई जांच की सिफारिश पर केंद्र सरकार का रुख अब तक साफ नहीं हो सका है ।