मातृसदन

मातृसदन
“गंगा- हिमालय संरक्षण संकल्प अभियान”
Posted on 15 Jun, 2013 10:40 AM
दिनांक : 23 जून-2013, सायं 4 बजे से
स्थान : अलकनंदा घाट (बिरला घाट के सामने), हरिद्वार, उत्तराखंड


सेवा में,
आदरणीय..


राष्ट्रीय नदी गंगा पर इसके हिमालयी क्षेत्र में ही बन रहे बांधों का विषय आज गंगा के अस्तित्व के सामने सबसे बड़ा संकट बन खड़ा है, पहले ही टिहरी, मनेरी व कोटेश्वर बांधों में गंगा की लगभग 120 किलोमीटर धारा सुरंगों व झीलों में कैद कर क्षत-विक्षत की जा चुकी है, आगे गंगा-भागीरथी, अलकनंदा व मंदाकिनी पर ही लगभग 70 बांधों का निर्माण प्रक्रिया में तथा इसके हिमालयी बेसिन में 500 से अधिक स्थान बांध निर्माण हेतु चिन्हित हैं। आज देव-भूमि की धारी देवी सिद्ध पीठ को 330 मेगावाट की श्रीनगर परियोजना की बलि चढ़ाये जाने की तैयारी है, कल इसी क्रम मं पंच-प्रयागों सहित देव-भूमि की संस्कृति ही भारी खिलवाड़ की ओर धकेली जा रही है। भौतिकवाद की आंधी में भोगप्रधान जीवनशैली को विकास बताकर भूकंप, भूस्खलन एवं पर्यावरण के प्रति अत्यंत संवेदनशील हिमालयी जोन में गंगा के साथ ऐसा भीषण खिलवाड़ गंगा के मूल गुण-धर्मों सहित इसके प्रवाह से जुड़े सांस्कृतिक व आध्यात्मिक स्वरूप (गंगात्व) को ही नष्ट कर गंगा के प्राणों पर ही आघात है। वैज्ञानिक अध्ययन भी यह प्रमाणित कर रहे हैं। जिसके बाद मैदानी भागों में गंगा के नाम पर बहने वाला जल वास्तव में गंगा-जल ही नहीं रहेगा और तब आगे गंगा के नाम पर इस जल की सफाई/निर्मलता आदि के कार्य देश के साथ एक छलावा मात्र साबित होंगे।

विगत वर्षों से इस हेतु चल रहे संघर्ष के स्वर को लगातार दो बार संसद में भी उठाया गया।
गंगा रक्षा हेतु ललकार
Posted on 02 Mar, 2012 03:27 PM
परम श्रद्धेय चार शंकराचार्य पीठों को भेजा गया आमंत्रण (प्रतिलिपि)
विषय- धर्म की आन व शान तथा गंगा जी का मान


आदरणीय शंकराचार्य जी महराज आप आध्यात्मिक जगत के महाराज हैं, हम सब लोग आपकी सेना हैं। आज समय की पुकार हैं, गंगा रक्षा के लिए आप युद्ध क्षेत्र में उतरें। हम आपसे नम्र निवेदन करते हैं कि हमारे प्राणों की आहुति में आप साक्षी हो व आपके दिशा निर्देश तथा इस युद्ध क्षेत्र में आपके सानिध्य में गंगा रक्षा ललकार में इस देश के संत महात्माओं को अपने प्राणों को न्यौछावर करना चाहिए।

अति संवेदनशील समय की पुकार है, एक-एक व्यक्ति यदि अनशन करके अपने प्राणों की आहुति दे देगा तो संभवतः गंगा रक्षा की पूर्णाहुति संभव नहीं हो पायेगी। हम आह्वान करते हैं व आपसे आशा भी रखते हैं कि वर्तमान में वास्तविक रूप में गंगा रक्षा का अभियान चलाना है तो इस यज्ञ की पूर्णाहुति तक का नेतृत्व समस्त शंकराचार्यों को विशेषतः उत्तर-भारत के शंकराचार्यों को इस आध्यात्मिक सेना का रण क्षेत्र में नेतृत्व कर प्रत्येक सैनिक के बलिदान का साक्षी बनकर इस अभियान को प्रेरणा देनी होगी अन्यथा यह आंदोलन उपहास का विषय बन जायेगा।

हम सभी भारतवर्ष में निवास करने वाले संत-महात्मा, आखाड़ों में निवास करने वाले पदाधिकारी जैसे महाकुम्भ में एकत्रित होकर अपनी आध्यात्मिक शक्ति की ऊर्जा को राष्ट्र हित में समर्पित करते हैं उसी प्रकार ‘गंगा रक्षा हेतु ललकार’ की वेदी पर सिसकती हुई मां गंगा के रक्षार्थ अपने प्राणों की आहुति देने को प्रत्येक धर्मावलंबी भारतवासी को तैयार होना चाहिए, विशेष रूप से संत-महात्माओं को इसमें पहले अग्रसर होना चाहिए।
गंगा जल का परीक्षण
Posted on 17 Feb, 2012 06:54 PM
दिनांक 15 फरवरी को गंगा के किनारे-किनारे कनखल स्थित मातृ सदन से भूपतवाला तक गंगा सेवा अभियानम् के तहत लोग विज्ञान संस्थन देहरादून के वैज्ञानिक दल ने गंगा में मिलने वाले गंदे नालों एवं नालियों का अवलोकन किया, जिसमें यह पाया गया की कुछ को छोड़ कर बाकी बड़े नालों की सीवर लाइन से जोड़ कर पंपिंग स्टेशन द्वारा जगजीतपुर स्थित ट्रीटमेंट में शोधित किया जाता है। निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों से पूछताछ करने पर यह पता चला कि इन नालों से कभी-कभी अभी गंदा पानी गंगा में गिरता है।
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