कुबेरनाथ राय
कुबेरनाथ राय
कथा एक नद की महाबाहु ब्रह्मपुत्र
Posted on 03 Jul, 2015 09:32 AMब्रह्मपुत्र असमिया जाति के इतिहास की धारा का प्रतीक है। यह विकासमान असमिया संस्कृति का महाकाव्य है। यह नदी नहीं नद है। यह किरातों को महानद है। यह मात्र जलधारा नहीं है, बल्कि इतिहास में विकासमान एक भावसत्ता भी हैदृष्टि अभिसार
Posted on 24 Sep, 2013 01:39 PMवह दिवस अद्भुत रहा, वह धूलि धूसर साँझदिन-भर बेंत वन के मध्य, क्षीण कटि,
वैतसी तनु-भार चंदन-खौरी
साजती,अनिमेष लोचन ताकती
कोमल नरम बपु श्यामली,
एक वह कोई नदी।
और, मैं मानस-मुकुल को भूनता
सृष्टि को निष्कर्म सिद्धि बाँटता
काष्ठमौनी सिद्धियों का पीता रहा काषाय।
(कटु काषाय पर ही स्वाद जल का मिष्ट होता है।)
पर वह दिवस अद्भुत रहा, वह धूलि-धूसर साँझ