किरण बाला

किरण बाला
जल संरक्षण एवं प्रबंधन में तालाबों की महत्ता
Posted on 20 Jun, 2020 03:09 AM

पानी मानव की ही नहीं, प्रत्येक प्राणी की आवश्यकता है। इसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रकृति बड़ी दयालु है जो हर वर्ष वर्षा के मौसम में नदी, नाले, तालाब, झील आदि को पानी से लबालब भर देती है। यदि हम इनमें एकत्र जल को संजोकर रख सकें, तो यह आने वाले जल-संकट से मुक्ति दिला सकता है। 

तालाबों की शृंखला; फोटो : needpix.com
मछलियों का रोचक संसार
Posted on 11 Mar, 2016 03:39 PM

मछलियों का संसार बड़ा विचित्र और रोमांचक है। इन्हें जल की रानी या जलपरी कहा गया है। पानी में ही जन्म लेने, पलने और विचरण करने वाली इन मछलियों की अनन्त किस्में हैं। आइए, ऐसी ही कुछ अजब अनोखी मछलियों से आपका परिचय कराएँ -
वाह क्या जलप्रपात
Posted on 21 Aug, 2015 10:50 AM
जलप्रपात तो आपने देखे होंगे और उन्हें देख रोमांचित भी हुए होंगे। ये हैं ही ऐसी चीज कि उनके सामने से हटने का मन ही नहीं करता है। आइए, आपको विश्व के कुछ खास जलप्रपात के बारे में बताएँ।
नमक की कहानी
Posted on 18 Aug, 2015 11:21 AM

नमक एक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल दुनिया भर में होता है। इसके बिना हर खाद्य सामग्री बेस्वाद होती है। जो चीज इतनी महत्त्वपूर्ण है, उसके बारे में कितना कुछ जानते हैं आप?

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चुनौती बनता वायु प्रदूषण (भाग 1)
वायु हमारे लिए कितनी आवश्यक है, इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि एक मनुष्य बिना भोजन के पांच सप्ताह तक तथा बिना जल के पांच दिन तक जीवित रह सकता है, लेकिन बिना सांस लिए उसका पांच मिनट जीवित रहना भी मुश्किल है। इसलिए, जिस वायु में हम सांस लेते हैं, उसका शुद्ध व निरापद होना अनिवार्य है। यह आलेख वायु प्रदूषण पर शोधपरक टिप्पणी है।
Posted on 07 Aug, 2024 06:47 PM

वायु प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। इसी से पृथ्वी पर जीवन संभव है। वायु में ऑक्सीजन का भंडार होता है, जो कि हमारी प्राणवायु है। यह श्वसन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। प्राकृतिक रूप से वायुमंडल स्वच्छ होता है, लेकिन आज मानव उसे दूषित कर रहा है। यही कारण है कि महानगरों में लोग वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनते वायु हमारे लिए कितनी आवश्यक है, इसका अनुमान आप इसी से लगा सकते हैं कि एक मनुष्य बिना भ

पराली जलाना (साभार छवि: विकिमीडिया कॉमन्स)
भारतीय लोक संस्कृति और साहित्य में जल की महिमा
भारतीय धर्म, संस्कृति और साहित्य में जल को अमृत तुल्य और जीवनदाता माना गया है। एक ओर जहां जल को प्रदूषित न करने की बात कही गई है, वहीं दूसरी ओर उसका संरक्षण यानी अपव्यय न करने की बात कही गई है। सभी धर्मों में इसकी महत्ता को समझाया गया है।
Posted on 10 Jun, 2024 06:25 AM

यदि हम प्राचीन ग्रंथों की बात करें तो ऋग्वेद में जल संरक्षण करने का उल्लेख मिलता है। अथर्ववेद में भी लोगों को जल संरक्षण के लिए आगाह किया गया है। इसके अलावा, तैतरीय उपनिषद, छांदग्योपनिषद और शंख स्मृति में भी कहा गया है कि पानी असीमित नहीं है, उसकी मात्रा निश्चित है। इसलिए उसे बचाने की चेतावनी दी गई है।

लोक साहित्य में जल
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