जय चक्रवर्ती

जय चक्रवर्ती
पानी
Posted on 24 Aug, 2015 03:52 PM
पानी तेरा दास जग, तू ही जग की आस।
सब में तेरा वास है, सबमें तेरी प्यास।।

जड़-चेतन, जीवन-जगत्, सृजन और विध्वंस।
सब पानी के अंश हैं, सब पानी के वंश।।

पानी है तो प्राण हैं, पानी है तो देह।
पानी है तो आँख में, जिन्दा जग का स्नेह।।

पड़े न वृक्षों पर कभी, बुरी किसी की दृष्टि।
वृक्षों से जल, और है, जल से सारी सृष्टि।।
×