जोधपुर
खडीन : रेगिस्तानी इलाके में सतही जल-प्रवाह का कृषि कार्यों में प्रयोग (Khadin : An ingenious construction designed to harvest surface runoff water for agriculture)
Posted on 01 Mar, 2018 12:11 PMखडीन खेत के किनारे सिद्ध-पाल बाँधकर वर्षा-जल को कृषि भूमि पर संग्रह करने तथा इस प्रकार संग्रहीत जल से कृषि भूमि में पर्याप्त नमी पैदाकर उसमें फसल उत्पादन करने की एक परम्परागत तकनीक है।
नाडी : राजस्थान की प्राकृतिक जल-संग्रह तकनीक (Natural methods of water conservation in Rajasthan - Naadi)
Posted on 20 Feb, 2018 06:52 PMराजस्थान में थार मरुस्थलीय क्षेत्र पानी की कमी वाला क्षेत्र है। कम वर्षा तथा भूमिगत जल प्रदूषित होने के कारण यहाँ के निवासियों ने प्राचीन काल से ही जल-संग्रह के ऐसे तरीके विकसित किए, जिससे मनुष्यों तथा पशुओं की पानी की आवश्यकताऐं पूरी की जा सकें। इनमें से एक प्रमुख तरीका है- नाडी या तालाब। इस तकनीक में प्राकृतिक आगोर द्वारा वर्षा का जल इकट्ठा किया जाता है।
टाँका : राजस्थान की परंपरागत जल-संग्रह तकनीक (Traditional method of water conservation in Rajasthan - Tanka)
Posted on 20 Feb, 2018 05:59 PMजलवायु परिवर्तन और भारतीय कृषि
Posted on 05 Sep, 2023 02:06 PMदेश की आजादी के बाद, हमने जितनी भी उपलब्धियां हासिल कीं, उन सभी में देश को भुखमरी से आजादी दिलाना और खाद्य उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर करना, हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। यह सब कुछ हमारे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अथक प्रयास ही सम्भव हो सका है। सन् 1960-61 में हमारा खाद्य उत्पादन 82 मिलियन टन था जो आज 2013-14 में बढ़कर अपने रिकार्ड स्तर 264 मिलियन टन तक पहुंच गया है। बढ़ती हुई आबादी के बा
राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति
Posted on 02 May, 2023 04:01 PMप्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से राजस्थान राज्य का पश्चिमोत्तर भू-भाग अत्यन्त पिछड़ा हुआ है। कम व अनियमित वर्षा, तीन हवाएं व भीषण गर्मी इस क्षेत्र के जलवायु को प्रतिकूल बनाने वाले प्रमुख कारक है। यहां का भू-जल अधिकांश भाग में काफी गहरा व प्रायः लवणीय होता है जो पेय व खेता दोनों ही दृष्टि से अनुकूल नहीं है। क्षेत्र की मृदाएं प्रायः बलुई व बहुत कम जल धारण क्षमता वाली होती है। तेज हवाओं के साथ बलुई