ज्ञानेन्द्र रावत
ज्ञानेन्द्र रावत
पर्यावरण के लिये भीषण खतरा हैं बाँध
Posted on 21 Aug, 2015 03:47 PMपनबिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिये इलाके में बड़ी तादाद में लोगो
बाढ़ : मानवजनित हस्तक्षेप का दुखद परिणाम
Posted on 20 Aug, 2015 12:19 PMबाढ़ को भूकम्प की तरह ही देश के लिये प्राकृतिक प्रकोप की संज्ञा दी जाती है। कुछ हद तक इसे सही भी माना जा सकता है। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता। देश हर साल की तरह फिर इस बार बाढ़ का सामना कर रहा है। वह चाहे बादल फटने से आई बाढ़ हो या फिर बारिश से आई बाढ़, तबाही तो स्वाभाविक है।

क्या नदियाँ बची रह पाएँगी
Posted on 28 Jul, 2015 01:59 PM आज देश के सामने नदियों पर अस्तित्व का संकट मँडरा रहा है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश की 35 नदियाँ बुरी तरह से प्रदूषण की चपेट में हैं। बोर्ड द्वारा 2005 से 2013 के बीच आँकड़ों के आधार पर किये अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि देश की 40 नदियों की प्रदूषण जाँच में असम की एक और दक्षिण भारत की चार नदियाँ
प्रजातियों के संरक्षण से पर्यावरण और मानव जीवन की रक्षा सम्भव
Posted on 25 Jul, 2015 04:37 PMजब तक देश का हर नागरिक वन्य प्राणियों के अंग, उनकी खाल का उपयोग न क
आज बेहद जरूरी है पर्यावरण संरक्षण
Posted on 24 Jul, 2015 10:47 AMयह सही है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आज उठाये गए कदम लगभग एक दशक बाद अपना सकारात्मक प्रभाव दिखाना आरम्भ करेगा। इसलिए जरूरी है कि समस्या के भयावह रूप धारण करने से पहले सामूहिक प्रयास किये जायें और हम कुछ करें। सबसे पहले अपनी जीवन शैली बदलें और अधिक से अधिक पेड़ लगावें जिससे ईंधन के लिए उनके बीज, पत्ते, तने काम आयेंगे और हम धरती के अंदर गड़े कार्बन को वहीं रखकर वातावरण को बचा सकेंगे। तभी धरत

इंसानी गतिविधियों से बढ़ता जलवायु परिवर्तन का खतरा
Posted on 24 Jul, 2015 10:08 AMदुख इस बात का है कि दुनिया का कोई भी देश इस संकट की भयावहता को समझ
बढ़ती आबादी का यथार्थ और मौजूदा चुनौतियाँ
Posted on 10 Jul, 2015 01:16 PMविश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष

आखिर क्या है भूजल पर गहराते भीषण संकट का हल
Posted on 02 Jul, 2015 10:38 AMआज हमें भूजल के भयावह संकट के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इसका इलाज
पर्यावरण बचाने हेतु हमें भी कुछ करना होगा
Posted on 18 Jun, 2015 01:21 PMआजकल पर्यावरण क्षरण और जलवायु परिवर्तन का सवाल बहस का मुद्दा बना हुआ है कारण इसके चलते आज समूची दुनिया का अस्तित्व खतरे में है। पर्यावरणविद् इस बारे में समय-समय पर चेता रहे हैं और वैज्ञानिकों के शोध-अध्ययनों ने इस तथ्य को साबित कर दिया है। सच यह है कि जीवनदायिनी प्रकृति और उसके द्वारा प्रदत्त प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा उपयोग और भौतिक सुख सुविधाओं की चाहत की अन्धी दौड़ के चलते आज न केवल प्रदूषण