हरिकृष्ण यादव

हरिकृष्ण यादव
यमुना भी एक नदी थी
Posted on 05 Jul, 2012 04:49 PM

हरियाणा जहां अपने कारखानों के जहरीले कचरे को दिल्ली भेज रहा है वहीं दिल्ली भी उत्तर प्रदेश को अपने गंदे नालों और सीवर का बदबूदार मैला पानी ही सप्लाई कर रही है। दिल्ली में यमुना की सफाई के नाम पर अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। ढाई हजार करोड़ रुपए अभी और खर्च होने हैं। दिल्ली में यमुना में अठारह बड़े नाले गिरते हैं, जिनमें नजफगढ़ का नाला सबसे बड़ा और सबसे अधिक प्रदूषित है। इस नाले में शहरी इलाकों के अड़तीस और ग्रामीण इलाकों के तीन नाले गिरते हैं।

यमुना से कृष्ण का अटूट नाता रहा है और इसकी पवित्रता को बरकरार रखने के लिए उन्होंने कालिया नाग को खत्म किया था। लेकिन द्वापर में प्रदूषित होने से बची यमुना कलयुग में जहर उगलते कारखानों और गंदे नालों की वजह से मैली हो गई है। यमुना की निर्मलता और स्वच्छता को बनाए रखने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन इस पर कायदे से अब तक अमल नहीं हो पाया है। अपने उद्गम से लेकर प्रयाग तक बहने वाली इस नदी की थोड़ी-बहुत सफाई बरसात के दिनों में इंद्र देव की कृपा से जरूर हो जाती है। लेकिन यमुनोत्री से निकली इस यमुना की व्यथा बेहद त्रासद है। अतीत में यमुना को भी पवित्रता और प्राचीन महत्ता के मामले में गंगा के बराबर ही अहमियत मिलती थी। पश्चिम हिमालय से निकल कर उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं की विभाजन रेखा बनी यह नदी पंचानवे मील का सफर तय कर उत्तरी सहारनपुर के मैदानी इलाके में पहुंचती हैं।
गोमती जो एक नदी थी
Posted on 23 May, 2011 03:36 PM

गोमती नदी की कलकल धारा लोगों की आस्था और विश्वास का संगम थी। उसका साफ और नीला अंजुलियों में भर कर लोग सर-माथे से लगाते थे। लेकिन प्रदूषण ने गोमती के जल को काला कर डाला है। नदी के अतीत और वर्तमान पर निगाह डाल रहे हैं हरिकृष्ण यादव।

दियरा में गोमती के दोनों किनारों को पुल ने मिला डाला था, यह देख कर खुशी हुई। साल में एक बार गोमती के पार जाना ही पड़ता है। पुल नहीं था तो नाव से गोमती पार करने के सिवा कोई चारा न था, लेकिन पुल के निर्माण से हुई खुशी नदी के तट पर पहुंचते ही काफूर भी हो गई। पहले जब भी जाना हुआ नाव पर चढ़ने से पहले साफ नीले जल से हाथ-पैर धोकर एक-दो घूंट पानी जरूर पीता था। पर इस बार पानी इतना गंदा था कि घूंट भरना तो दूर पांव तक धोने की इच्छा न हुई। वैसे तो हर साल जेठ के महीने में दशहरे के दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र गोमती में स्नान करते हैं। इस बार दशहरे पर नाले में बदल गई गोमती में श्रद्धालु डुबकी लगाने की आस्था कैसे निभाएंगे।
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