गाब्रियल ओकारा

गाब्रियल ओकारा
नदी का बुलावा
Posted on 24 Oct, 2014 03:09 PM
मैं सुनता हूं तुम्हारा बुलावा
बुलावा दूर से आता, सुनता हूं
झपटती पहाड़ियों का हिसार तोड़ते हुए
सुनता हूं उसे
चाहता हूं फिर से देखना तुमको
महसूस करना तुम्हारा ठंडा आलिंगन
या तुम्हारे किनारे खुद को बिठाना
निगलना तुम्हारी सांसें
या पेड़ों की तरह खुद को
तुम पर बिछा देखना
और सवेरे के होठों पर नाचते गीत से
अपने दिनों को फिर से जिंदा करना
×