डॉ. सुधीर कुमार

डॉ. सुधीर कुमार
समस्थानिक तकनीकों द्वारा टिहरी जलाशय से जल रिसाव के स्रोतों का आंकलन
Posted on 26 Dec, 2011 09:23 AM टिहरी बाँध का निर्माण गंगा की मुख्य सहायक नदी भागीरथी पर किया गया है। टिहरी बाँध की ऊंचाई 855 फीट (260.5 मी.) है तथा यह विश्व का पाँचवा एवं एशिया क्षेत्र में सबसे ऊँचा, मृदा व चट्टानों से निर्मित बाँध है। वर्तमान में टिहरी बाँध प्रचालन स्थिति में है। बाँध के अनुप्रवाह एवेटमेंट में जल दबाव कम करने के लिए जल निकासी गैलरियों का एक जाल निर्मित किया गया है। जलाशय के भराव एवं खाली होने के दौरान विभिन्न
उदयपुर में स्थित झामरकोटरा खनन क्षेत्र का भू-विज्ञानीय अध्ययन
Posted on 23 Dec, 2011 02:56 PM खनिज संसाधन भूगर्भ से निकाले जाने वाले वे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक व रासायनिक सहयोग से बनते हैं। खनिज कुछ निश्चित स्थानों पर ही मिलते हैं। भारत में खनिजों का वितरण असमान है। उत्तरी मैदानों में खनिजों की कमी पाई जाती है क्योंकि यहाँ आधार शैलों पर नदियों द्वारा मिट्टी जमा कर दी गई है। हिमालयी क्षेत्रों में भी खनिजों की कमी है एवं इनका खनन मंहगा पड़ता है। यहाँ अधिकतर खनिज पदार्थ प्रायद्वीप भारत में मि
झामरकोटरा खनन क्षेत्र
प्रकृति का अनुपम उपहार हैं पहाड़ी नौले-धारे
प्राकृतिक उपहारों में से एक है पहाड़ी नौले-धारे (Springs) जो पहाड़ों में रहने वाले लोगों की कई सालों से जलापूर्ति करते आये हैं। वास्तव में देखा जाए तो नौले व धारे पर्वतीय क्षेत्र की संस्कृति और संस्कारों का दर्पण भी हैं। पहाड़ों में रहने वाले लोगों की मानें तो वे इन्हें जल मंदिर के रूप में पूजते हैं। Posted on 11 Jun, 2024 08:31 AM

पेयजल के भरोसेमंद स्रोत नौला मनुष्य द्वारा विशेष प्रकार के सूक्ष्म छिद्र युक्त पत्थर से निर्मित एक सीढ़ीदार जल भण्डार है, जिसके तल में एक चौकोर पत्थर के ऊपर सीढ़ियों की श्रृंखला जमीन की सतह तक लाई जाती है। सामान्यतः तल पर कुंड की लम्बाई- चौड़ाई 5 से 8 इंच तक होती है, और ऊपर तक लम्बाई-चौड़ाई बढ़ती हुई 4 से 8 फीट (लगभग वर्गाकार) हो जाती है। नौले की कुल गहराई स्रोत पर निर्भर करती है। आम तौर पर गहर

प्रतिकात्मक तस्वीर
पर्यावरण प्रदूषण का दिव्यांगजनों पर खतरा ज्यादा
विकलांगता और सतत विकास लक्ष्य पर संयुक्त राष्ट्र की पहली रिपोर्ट-2018 दर्शाती है कि दिव्यांग अधिकांश सतत विकास लक्ष्यों के संबंध में पिछड़े हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार, शिक्षा तक पहुंच की कमी, मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों और सुरक्षित रूप से निकलने में कठिनाई के कारण जलवायविक आपदाओं के मामले में दिव्यांगों को अधिक खतरा होता है। वास्तव में आपदा संबंधी पर्याप्त ज्ञान होने से चरम मौसमी घटनाओं के खिलाफ जीवित रहने के बेहतर मौके तलाशने में आसानी होती है



Posted on 08 Nov, 2023 02:35 PM

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने संयुक्त राष्ट्र की जलवायु कार्रवाई के संदर्भ में विकलांगता अधिकारों पर जारी पहली रिपोर्ट के बारे में कहा है कि दिव्यांगों पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का खतरा बढ़ गया है जिसमें उनके स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, पेयजल, स्वच्छता और आजीविका के खतरे भी शामिल हैं। जलवायु परिवर्तन समाज के सभी तबकों को समान रूप से प्रभावित करता है, लेकिन जलवायविक आपदा क

पर्यावरण प्रदूषण का दिव्यांगजनों खतरे ज्यादा
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