बुद्ध प्रकाश

बुद्ध प्रकाश
पृथ्वी के जीवन अस्तित्व पर मंडराता खतरा
Posted on 05 Jun, 2014 11:59 AM

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष


आज विश्व की आबादी का छठा हिस्सा शुद्ध पेयजल की समस्या से जूझ रहा है। सांस लेने के लिए शुद्ध हवा कम पड़ने लगी है। प्रदूषित जल पीने से असाध्य बीमारियों का लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिससे हैजा, आंत्रशोध, पीलिया, मोतीझरा, ब्लड कैंसर, त्वचा कैंसर, हड्डी रोग, हृदय एवं गुर्दे के रोग सैकड़ों नागरिकों को चपेट में लेते हैं। वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण जीव अपने परिवेश से विस्थापित हो रहे हैं। विश्व में प्रतिवर्ष 1.1 करोड़ हे. वन काटा जाता है। जिसमें भारत में प्रतिवर्ष 10 लाख हे. वनों की कटाई धड़ल्ले से हो रही है। जनसंख्या की विस्फोटक बाढ़ और मनुष्य की भौतिक जीवनशैली ने मिलकर प्राकृतिक संसाधनों का इतना अंधाधुंध दोहन किया व आर्थिक विकास का माध्यम बनाया कि विश्व में गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रहीं हैं।

शहरीकरण व औद्योगीकरण में अनियंत्रित वृद्धि, जंगलों का नष्ट होना, कल-कारखानों से धुआं उगलती चिमनियों से प्रवाहित कार्बन डाइऑक्साइड, कचरे से भरी नदियां, रासायनिक गैसों से भरा प्रदूषित वातावरण, सड़कों पर वाहनों की भरमार, लाउड स्पीकरों की कर्कश ध्वनि, रासायनिक हथियारों का परीक्षण एवं संचालन आदि ने पर्यावरणी समस्याओं को उत्पन्न करके मानव को आशंकित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण असंतुलन के कारण पृथ्वी पर जीवन अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है।
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