बलवीर सिंह करूण

बलवीर सिंह करूण
नहर नदी कुएँ सब प्यासे
Posted on 08 Sep, 2015 10:22 AM
काश मेघ तुम जल्दी आते।

भ्रूणांकुर कोखों में झुलसे
बांझ रह गई अनगिन क्यारी
अबके भी रह गई इसी से
कितनी कृषक सुताएँ क्वाँरी

कई हज़ार वृद्ध कंधों पर
ऋण का बोझा और बढ़ गया
जीवन सरिता में दर्दों के
जल का स्तर कुछ और चढ़ गया

पहले आते तो कुछ माथे
चावल चढ़ने से खिल जाते।
काश मेघ तुम जल्दी आते।

बिखर गये अरमान सलौने
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