बिपिन चन्द्र चतुर्वेदी
बांधो की सुरक्षा के लिए केन्द्रीय कानून बनाने की पहल
Posted on 25 Dec, 2009 11:35 PM * बिपिन चन्द्र चतुर्वेदी
केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार भारत में कुल 4500 से ज्यादा बड़े बांध हैं। इसके अलावा 700 से ज्यादा बड़े बांध प्रस्तावित या निर्माणाधीन हैं। विश्व बांध आयोग के अनुसार बड़े बांधो के अतर्गत वे बांध आते हैं जिनकी ऊंचाई निम्नतम सतह स्तर से 15 मीटर या उससे ज्यादा हो। इनमें से सैकड़ो बांध ऐसे हैं जो पचास साल से ज्यादा पुराने हैं और उनमें से कई तो अपनी उम्र भी पूरी कर चुके हैं। ऐसे में बांधो का उपयोग जारी रहना काफी जोखिम भरा होता है। भारत में अब तक बांधो से करीब 214 अरब घन मीटर जल संग्रहण क्षमता तैयार किया जा चुका है। जबकि भारत सरकार द्वारा एकीकृत जल संसाधन विकास के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के अनुसार प्रति वर्ष 1.3 अरब घन मीटर की दर से संग्रहण क्षमता में कमी आ रही है। इसकी प्रमुख वजह है जलाशयों में गाद की मात्रा बढ़ना। इस समस्या के निराकरण के लिए आवश्यक है कि उचित रूप से बांधों का नियमित रखरखाव व मरम्मत किया जाय।
निहित स्वार्थ का पर्याय ‘नदी जोड़ परियोजना’
Posted on 18 Sep, 2009 09:02 PMअजीब विरोधाभास है कि एक तरफ तो भारत सरकार की केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय इस परियोजना पर आगे बढ़ने की बात कहती है तो दूसरी तरफ सत्ताधारी दल के ही राहुल गांधी एवं जयराम रमेश सरीखे प्रमुख नेता इसे विनाशकारी बताते हैं। चाहे जो भी हो, जब प्रस्तावित 30 जोड़ों में से एक की भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार न हो तो इस परियोजना के पक्ष में दावे खोखले नजर आते हैं।अभी हाल ही में कांग्रेस पार्टी के सबसे चहेते नेता राहुल गांधी ने चेन्नई में एक प्रेस सम्मेलन में कहा कि नदी जोड़ योजना भारत के पर्यावरण के लिए बहुत ही विनाशकारी है। राहुल गांधी के बयान के अगले ही दिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री के करूणनिधि ने इस परियोजना के पक्ष में दलील दी। इस तरह यह मुद्दा एक बार फिर जीवंत हो गया है। अब यदि प्रमुख सत्ताधारी दल के एक प्रमुख नेता की ओर से ऐसे बयान आ रहे हैं तो इसका निहितार्थ जानना भी जरूरी है। यह तो जानी हुई बात है कि नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना भारत में जल संसाधन क्षेत्र में अब तक की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना है। सन 2001 के कीमत स्तर पर इस पूरी परियोजना की प्रस्तावित लागत ‘पांच लाख साठ हजार करोड़’ आंकी गई थी।
सरदार सरोवर एवं इंदिरा सागर के पर्यावरणीय उपायों के शर्तों का घोर उल्लंघनः विशेषज्ञ समिति का अहम निष्कर्ष
Posted on 17 Feb, 2010 02:28 PMभारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा भारतीय वन सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक डा.
नर्मदा पर निर्माणाधीन महेश्वर बांध पर परियोजनाकार को कारण बताओ नोटिस जारी
Posted on 17 Feb, 2010 08:25 AMउपयुक्त पुनर्वास न होने के कारण जब महेश्वर बांध परियोजना के सैकड़ो प्रभावितों ने नई दिल्ली में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के समक्ष अचानक धरना दिया तो केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री जयराम रमेश ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए पर्यावरण मंत्रालय के अधिनियम 5 के तहत परियोजनाकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। बांध से प्रभावित गांववासी सालों से यह कहते रहे हैं कि उनका पुनर्वास उस गति से नहीं हो पा रहा है जिस गति से बांध का निर्माण हो रहा है। जबकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा परियोजना को दी गई सशर्त मंजूरी में यह कहा गया है कि बांध का निर्माण और पुनर्वास साथ-साथ होने चाहिए।
अरूणाचल प्रदेश का भूजल परिदृश्य
Posted on 16 Jan, 2010 05:32 PM
* कुल भौगोलिक क्षेत्र: 83,743 वर्ग किमी
* कुल जिले: 13
* कुल ब्लॉक: 59
आंध्र प्रदेश का भूजल परिदृश्य
Posted on 16 Jan, 2010 10:40 AM
कुल भौगोलिक क्षेत्र (वर्ग किमी): 2,75,069
कुल जिले: 23
कुल मंडल : 1125
क्या आप जानते हैं, बड़े जलाशय भूकंप उत्पन्न करते हैं?
Posted on 11 Jan, 2010 09:23 PMजी हां, बड़े जलाशयों की वजह से भूकंप आते हैं। यह कोई कोरी कल्पना नहीं है बल्कि इस बारे में तमाम वैज्ञानिक तथ्य भी इस बात की पुष्टि करते हैं। दुनिया भर में विभिन्न जलाशयों से एकत्र किए गए वैज्ञानिक आंकड़ों ने यह साबित किया है कि जलाशयों में पानी भरने और भूकंप के बीच आपसी सम्बंध होते हैं।
माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं के लिए हिमाचलियों को अब ज्यादा वित्तपोषण
Posted on 08 Jan, 2010 02:06 PMहिमाचल प्रदेश सरकार के नवीनतम निर्देश के अनुसार राज्य स्थित कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल ने राज्य में माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं को ज्यादा वित्तपोषण करने का प्रस्ताव किया है। जबकि इस प्रस्ताव पर नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलेपमेंट (नाबार्ड) ने आपत्ति जाहिर की है। राज्य सरकार की घोषित नीति है कि राज्य में उपलब्ध पनबिजली क्षमता में से 5 मेगावाट की तक की क्षमता वाली परियोजनाएं रा
केरल की अथिरापल्ली पनबिजली परियोजना पर ब्रेक
Posted on 07 Jan, 2010 10:39 PMआखिर वह भी हुआ जो होना चाहिए था। जी हां, केरल में प्रस्तावित अथिरापल्ली पनबिजली परियोजना पर ब्रेक लग गया। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने गत 4 जनवरी 2010 को परियोजना को दी गई मंजूरी वापस लेने की सिफारिश कर दी। साथ ही मंत्रालय ने इस संबंध में केरल राज्य विद्युत बोर्ड से 15 दिनों में अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा है। केरल में चालकुडी नदी पर प्रस्तावित इस 163 मेगावाट की पनबिजली परियोजना