अतुल कुमार सिंह
अतुल कुमार सिंह
दक्षिण में गिरता जल स्तर बजा रहा है खतरे की घंटी
Posted on 28 Mar, 2014 09:12 AMइस बार के लोकसभा चुनाव में तमाम मुद्दे उछल रहे हैं लेकिन पानी का मुद्दा किसी कोने से उठता नहीं नजर आ रहा। जबकि पानी को लेकर पिछले दिनों काफी विवाद खड़ा हो चुका है। चाहे वह आसाराम द्वारा अपने भक्तों से होली खेलने में लाखों लीटर पानी की बर्बादी हो या सूखे से ग्रस्त मराठावाड़ा और विदर्भ में लोगों द्वारा ट्रेनों से पानी चोरी चुपके निकालना, हर बार यह देश में चर्चाखेती पर पड़ रही है प्रकृति व व्यवस्था की दोहरी मार
Posted on 23 Mar, 2014 09:54 AMबेंगलुरु के एक ऐसी नदी वृषभावती की एक सहायक नदी में बने चैक डैम का है, जिसमें वर्षों से पानी ही नहीं आ रहा है। नई पीढ़ी को तो शायद यह भी पता नहीं कि यह कोई नदी है। स्थानीय लोगों से पूछें तो आमतौर पर कहा जाता है कि बारिश में साल-दर साल लगातार हो रही कमी के कारण इस नदी में पानी नहीं आता है। लेकिन विशेषज्ञों और अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, यह कोई सटीक और एकलौता कारणखेती के तरीकों ने धरती की छाती फाड़ सोख लिया पानी
Posted on 19 Mar, 2014 11:20 AMगन्ने की फसल से बेंगलुरु ग्रामीण इलाके में भूजल गिरा तो शुरू हुई नाशक यूक्लिप्टस की खेती भूजल स्तर दोबारा पाने का एकमात्र रास्ता है कि सरकार किसानों को मुआवजा देकर खेती रोक दें… अतुल कुमार सिंह की विशेष रिपोर्ट...बेंगलुरु में भी प्लास्टिक बन रहा सिरदर्द
Posted on 19 Mar, 2014 10:48 AMदक्षिण के इस हाईटेक शहर में प्लास्टिक उद्योग से कई तरह के खतरे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाई के बावजूद बदस्तूर जारी हैं कारखाने…प्राचीन वृषभावती नदी का नामो-निशान मिटा
Posted on 19 Mar, 2014 10:00 AM20 वर्ष पहले तक बेंगलुरु शहर का पूरा पानी इस नदी से ही लिया जाता था, लेकिन आज इसके मूल पानी का स्रोत खत्म हो चुका है, क्योंकि शहर का गंदा पानी इसमें गिरता है…उद्योगों के कचरा से बेंगलुरु का पानी दूषित
Posted on 19 Mar, 2014 09:33 AMतेजी से बढ़ रही हैं औद्योगिक इकाइयां लेकिन नहीं हो रही जलशोधन की व्यवस्था पानी में उद्योागों के कचरा और भारी धातुओं के मिलने से पास की नदी हो गई है प्रदूषित…जलवायु परिवर्तन से कृषि पर संकट
Posted on 27 Oct, 2012 01:52 PMहमारा समाज मुख्यतः कृषक समाज है और ज्यादातर लोग छोटे किसान हैं। अनाज के अलावा फल व मसालों का भी अच्छा उत्पादन होता है। गाय-भैंस लगभग हर परिवार में होते हैं और कुछ परिवार भेड़-बकरियां भी पालते हैं। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बारिश, तापमान और कृषि के लिए जल उपलब्धता पर काफी अधिक होता है। यदि ऐसी ही स्थिति रही तो पूरी दुनिया कुपोषण से पीड़ित होगा। जलवायु परिवर्तन बहुत खतरनाक चुनौती बन चुकी है और इससअस्सी चूल्हों का गणतंत्र
Posted on 09 May, 2011 02:44 PMइस इलाके में एक शब्द प्रचलित है - ठेंगापाली। ठेंगा माने डंडा और पाली माने बारी। यानी ठेंगा क