अरविंद

अरविंद
केदारनाथ से नहीं लिया सबक
उत्तराखंड में इस बार एक जून से अभी तक की बारिश को भारतीय मौसम विभाग सामान्य से 13 फीसद अधिक बता रहा है। उसका कहना है कि सामान्य से 19 फीसद से अधिक होने ही बारिश को असामान्य माना जा सकता है, लेकिन इस बार बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि लोगों की खेती बर्बाद हो गई। कई लोग और पशु मारे गए। घरों तथा दुकानों के अंदर पानी घुस गया। बाढ़ का ऐसा प्रकोप हुआ कि सरकार को पानी में डूबे हरिद्वार के क्षेत्रों को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित करना पड़ा।
Posted on 27 Oct, 2023 03:38 PM

जून , 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में भयावह आपदा आई थी। घटना में हजारों लोग मारे गए। इस हिमालयी सुनामी ने इलाके का भूगोल भी बदल कर रख दिया था। तब जलवायु परिवर्तन के कारण केदारनाथ के हिमालयी क्षेत्र में हुई अप्रत्याशित बारिश, नदियों पर मानकों की अवहेलना कर बांध बना लेने, ऑलवेदर रोड का मलबा नदियों में डाल देने, नदियों के किनारे अनधिकृत निर्माण, नदियों में अवैध खनन आदि को आपदा की विभीषिका और नु

केदारनाथ की भयावह आपदा
कारगर प्रयास हो, तो संभव है सुखाड़ से मुक्ति
Posted on 22 Sep, 2010 09:55 AM
सुखाड़ और अकाल पलामू की नियति बन चुकी है। मानसून की तानाशाही के कारण। झारखंड का यह इलाका गुजरे कई सालों से सूखे की चपेट में है। नतीजा यह कि इसने आजीविका के संकट से लेकर भुखमरी, पलायन और कृषि समस्या तक को बुरी तरह प्रभावित किया है। पेश है इस संबंध में शोधपरक रिपोर्ट की पांचवी और अंतिम कड़ी :
सुखाड़ व अकाल में ‘तीसरी फ़सल’
Posted on 22 Sep, 2010 09:45 AM

सुखाड़ और अकाल पलामू की नियति बन चुकी है। मानसून की तानाशाही के कारण। झारखंड का यह इलाका गुजरे कई सालों से सूखे की चपेट में है। नतीजा यह कि इसने आजीविका के संकट से लेकर भुखमरी, पलायन और कृषि समस्या तक को बुरी तरह प्रभावित किया है। पेश है इस संबंध में शोधपरक रिपोर्ट की तीसरी कड़ी :
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