आर. पनिरसिलवम

आर. पनिरसिलवम
मैंग्रोव क्षेत्रों की सुरक्षा तथा उनका संरक्षण
Posted on 13 Sep, 2011 04:36 PM
हाल ही के वर्षों में सुनामी के कहर के बाद मैंग्रोव वनों का महत्व एक बार फिर सामने आया है। हालांकि मैंग्रोव क्षेत्रों की भूमि को अन्य कार्यों के लिए उपयोग करने पर कानूनी प्रतिबन्ध लगाये गये हैं, परन्तु मैंग्रोव वन अभी तक सुरक्षित नहीं हैं। भावी पीढियों के लिए मैंग्रोव क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ तात्कालिक कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।
मैंग्रोव वनों को सम्भावित खतरे
Posted on 13 Sep, 2011 12:24 PM
भारत में विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव क्षेत्र सुन्दरवन स्थित है। मैंग्रोव क्षेत्रों में मानवीय हस्तक्षेप को नियंत्रित करने की आवश्यकता है क्योंकि मानव द्वारा अतिक्रमण के कारण इनके क्षेत्रफल में कमी आ रही है।
मैंग्रोव का महत्व
Posted on 13 Sep, 2011 11:20 AM
मनुष्य द्वारा मैंग्रोव वनों का प्रयोग अनेक रूपों में किया जाता है। पारम्परिक रूप से स्थानीय निवासियों द्वारा इनका प्रयोग भोजन, औषधि, टेनिन, ईंधन तथा इमारती लकड़ी के लिये किया जाता रहा है। तटीक इलाकों में रहने वाले लाखों लोगों के लिये जीवनयापन का साधन इन वनों से प्राप्त होता है तथा ये उनकी पारम्परिक संस्कृति को जीवित रखते हैं। मैंग्रोव वन धरती तथा समुद्र के बीच एक उभय प्रतिरोधी (बफर) की तरह कार्य क
मैंग्रोव पारिस्थितिकी
Posted on 13 Sep, 2011 10:57 AM
मैंग्रोव वन विभिन्न प्रकार के जीवों और वनस्पतियों के लिए अद्वितीय पारिस्थितिक पर्यावरण उपलब्ध कराते हैं । यह आवास स्थल वैश्विक कार्बन चक्र में अहम् योगदान देते हैं। बहुत से जीव मैंग्रोव का विविध प्रकार से उपयोग करते हैं, चाहे वहा जीवन के कुछ भाग में हो। उष्णकटिबन्धीय तटों पर जैव विविधता को बनाये रखने में मैंग्रोव क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। मैंग्रोव पौधों की पत्तियां टूटी शाखाएं, बीज तथा फल
वनस्पति और जीव
Posted on 13 Sep, 2011 09:20 AM
मैंग्रोव वन जिन्हें कभी केवल अनुपयोगी दलदल समझा जाता था आज उपयोगी तथा परिस्थितिकीय रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में देखे जाते हैं। खारे पानी और दलदली क्षेत्र होने पर भी मैंग्रोव वनों में विभिन्न प्रकार के पौधों और जीव-जन्तुओं की अनेक प्रजातियां पायी जाती हैं। ये क्षेत्र अन्य प्रकार के पौधों के लिये भी भोजन तथा आवास प्रदान करते हैं। अक्सर यह माना जाता है कि मैंग्रोव वन कम आवासीय विविधता वाले
मौसमी कारक
Posted on 13 Sep, 2011 08:54 AM

एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य वर्षा जल द्वारा यह किया जाता है कि समुद्री पानी द्वारा वाष्पीकरण द्वा

मैंग्रोव वनों की जैविक संरचना
Posted on 12 Sep, 2011 03:55 PM
अनियमित अवलोकन करने पर यह अकल्पित ही समझा जाएगा कि मैंग्रोव वनस्पतियां उनके आवास (भूमि और सागर के अंतरापृष्ठीय क्षेत्र) में किस प्रकार जीवित रह पाती हैं। सामान्यतः यह देखने में आता है कि यदि किसी पौधे को समुद्र के पानी से सींच दिया जाये तो पानी में उपस्थित नमक उस पौधे के सारे पानी को सोख लेता है और पौधा निर्जलीकरण से मर जाता है। इसके विपरीत मैंग्रोव पौधे लगातार खारे पानी में रह कर भी जीवित रहते
मैंग्रोव क्षेत्रों का वर्गीकरण
Posted on 08 Mar, 2011 02:45 PM
मैंग्रोव वनों के भौगोलिक वितरण को नियंत्रित करने वाला मुख्य कारक वहां के वातावरण का तापमान है। विषुवत रेखा के आसपास के क्षेत्रों में जहां जलवायु गर्म तथा नम होती है, वहां मैंग्रोव वनस्पतियों की लगभग सभी प्रजातियां पायी जाती हैं। मैंग्रोव वनस्पति विश्व के लगभग 112 देशों में पायी जाती हैं जिनमें अधिकतर उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों में स्थित हैं। यदि जापान तथा बरमूडा के क्षेत्रों को अपवाद स्वरूप छोड़ दें
मैंग्रोव :- प्रस्तावना
Posted on 08 Mar, 2011 12:58 PM
मैंग्रोव शब्द की उत्पत्ति पुर्तगाली शब्द ‘मैंग्यू’ तथा अंग्रेजी शब्द ‘ग्रोव’ से मिलकर हुई है। मैंग्रोव शब्द का उपयोग पौधों के उस समूह के लिये किया जाता है जो खारे पानी और अधिक नमी वाले स्थानों पर उगते है। इस शब्द का प्रयोग पौधों की एक विशेष प्रजाति के लिये भी किया जाता है। मैंग्रोव, उष्णकटिबन्धीय क्षेत्रों के तटों पर उस स्थान पर उगने वाली वनस्पति को कहा जाता है जहां ज्वार के समय समुद्र का खार
×