अनुकृति उज्जैनियाँ

अनुकृति उज्जैनियाँ
उपसंहार
Posted on 16 Feb, 2018 12:59 PM

राजस्थान में जल की भीषण स्थिति को देखते हुए भविष्य में जल विरासत को सहेज कर रखना अति आवश्यक है। जल संरक्षण

हाड़ौती के जलाशय निर्माण एवं तकनीक (Reservoir Construction & Techniques in the Hadoti region)
Posted on 15 Feb, 2018 03:56 PM

प्राचीन ग्रंथों में प्रत्येक गाँव या नगर में जलाशय होना आवश्यक बतलाया गया है। राजवल्लभ वास्तुशास्त्र1 के लेखक मण्डन ने भी बड़े नगर के लिये कई वापिकाएँ, कुण्ड तथा तालाबों का होना अच्छा माना है। भारतीय धर्म में जलाशय निर्माण को एक बहुत बड़ा पुण्य कार्य माना गया है, किन्तु इस आध्यात्मिक भावना का भौतिक महत्त्व भी रहा है क्योंकि जलाशय एक ओर सिंचाई के श्रेष्ठ साधन बनते थे, वहीं दूसरी ओर ज
हाड़ौती के प्रमुख जल संसाधन (Major water resources of Hadoti)
Posted on 01 Jan, 2018 04:17 PM

भारत के प्राचीन ग्रंथों में आरम्भ से ही जल की महत्ता पर बल देते हुए इसके संचयन पर जोर दिया गया है। ‘जलस्य जीवनम’ के सिद्धान्त को चरितार्थ करते हुए विश्व की समस्त प्राचीन सभ्यताओं का विकास विभिन्न नदियों की घाटियों में हुआ है।1 इसका मुख्य कारण यह है कि जल मानव जीवन के सभी पक्षों से जुड़ा रहा है। जल की उपयोगिता के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मानव समाज ने जल संचय अथवा जल संग्रह के ऐ
हाड़ौती क्षेत्र में जल के ऐतिहासिक स्रोत (Traditional sources of water in the Hadoti region)
Posted on 06 Nov, 2017 11:25 AM

प्राचीनकाल से आधुनिक समय तक मानव अभिव्यक्ति के साधनों में मिट्टीपट, मुद्रा, ताम्र पत्र, पट्टिकाएँ और स्तम्भ आदि इतिहास का बोध कराते रहे हैं। प्रारम्भ में अक्षर ज्ञान के अभाव में मनुष्य ने अपनी अभिव्यक्ति शैलचित्रों में व्यक्त की थी परन्तु जैसे-जैसे अक्षर ज्ञान का विकास प्रारम्भ हुआ वैसे ही मनुष्य ने अभिव्यक्ति के साधनों में शैलचित्रों के स्थान पर शब्दों को पत्थर पर लिखना शुरू किया। शब्दोत्की
हाड़ौती क्षेत्र में जल का इतिहास एवं महत्त्व (History and significance of water in the Hadoti region)
Posted on 03 Nov, 2017 01:06 PM

जल की उत्पत्ति


भारतीय संस्कृति की यह मान्यता सुविदित है कि मानव शरीर पाँच तत्वों का बना हुआ है। “पाँच तत्व का पींजरा तामे पंछी पौन” यह उक्ति प्रसिद्ध है। ये पाँच तत्व है-पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। इन्हें पंचभूत भी कहते हैं क्योंकि ये वे तत्व हैं जिनसे सारी सृष्टि की रचना हुई है।1

आसीदिद तमोभूतम प्रज्ञातमलक्षणम।
हाड़ौती का भूगोल एवं इतिहास (Geography and history of Hadoti)
Posted on 31 Oct, 2017 12:00 PM

चौहान राजपूतों की 24 शाखाओं में से सबसे महत्त्वपूर्ण हाड़ा चौहान शाखा रही है। इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड को हासी के किले से एक शिलालेख मिला था, जिसमें हाड़ाओं को चन्द्रवंशी लिखा गया है।1 सोमेश्वर के बाद उसका पुत्र राय पिथौरा या पृथ्वीराज चौहान राजसिंहासन पर बैठा। पृथ्वीराज चौहान शहाबुद्दीन मोहम्मद गौरी के साथ लड़ता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ। तत्पश्चात चौहानों के हाथ से भारत-वर्ष का रा
राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में जल विरासत - 12वीं सदी से 18वीं सदी तक (Water heritage in Hadoti region of Rajasthan - 12th Century to 18th Century)
Posted on 25 Oct, 2017 10:25 AM

परिचय


जल विधाता की प्रथम सृष्टि है। विधाता ने सृष्टि की रचना करने से पहले जल बनाया फिर उसमें जीवन पैदा किया। मनुस्मृति कहती है ‘‘अप एवं सर्सजादो तासु बीज अवासृजन’’ जल में जीवन के बीज विधाता ने उगाये। जल प्रकृति का अलौकिक वरदान स्वरूप मानव, प्राणी तथा वनस्पति सभी के लिये अनिवार्य है।
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