अनिल अश्विनी शर्मा
अनिल अश्विनी शर्मा
राहत की रस्म अदायगी
Posted on 11 Jan, 2018 11:52 AM2009 में बुन्देलखण्ड में सूखे से निपटने के लिये 7,266 करोड़ रुपए का पैकेज जार
अभी लड़ाई जारी है… (Fighting for waste landfill)
Posted on 22 Oct, 2017 04:28 PMये वे नामालूम से विद्रोही हैं जिन्हें सबसे ज्यादा उपेक्षित किया गया है। अपनी राह पर चले ये जीते भी हैं और खतरे की घंटी भी हैं। जीते इसलिये कि ये शहरी ठोस कचरे के खतरे के खिलाफ युद्धरत हैं। ये भारतीय शहरों को अपना कचरा ठिकाने लगाने के लिये अपना तरीका ईजाद करने के लिये प्रेरित कर सकते हैं। खतरे की घंटी इसलिये कि अगर शहर कचरा प्रबन्धन में नाकाम रहे तो ये
डूबता रेगिस्तान (Drowning desert)
Posted on 11 Sep, 2017 04:58 PMराजस्थान का मरुस्थली इलाका असामान्य बारिश से जूझ रहा है। बाढ़ न केवल नियमित होती जा रही ह
सूखाग्रस्त राज्यों की प्यास बुझाएगा रेलवे
Posted on 10 May, 2016 10:42 AMजिस भी राज्य को पानी की जरूरत हो, उस राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय को रेल मंत्रालय के पास एक पत
आधे से अधिक राज्यों में सूखे से जल विद्युत उत्पादन घटा
Posted on 30 Apr, 2016 12:38 PMनई दिल्ली @ पत्रिका ब्यूरो सूखे ने देश के आधे से अधिक राज्यों को अपनी चपेट में ले लिया है। इस सूखे का असर जहाँ एक ओर जल संकट के रूप में सामने आया है, वहीं दूसरी ओर इस सूखे ने देश में जल विद्युत के उत्पादन को घटा दिया है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय ने यह स्वीकार किया है कि सूखे के कारण जल विद्युत उत्पादन घटा है। हालाँकि यह भी सही है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित दस राज्यों में उत्पादन अ
अब स्टेशनों को देना होगा एक-एक बूँद का हिसाब
Posted on 03 Jan, 2016 02:25 PMपानी के दुरुपयोग पर चलेगा आॅडिट का डंडा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान के 18 स्टेशन शामिल
हिमालय के लिये केन्द्र में अलग से मंत्रालय हो
Posted on 21 Sep, 2015 12:03 PMनई दिल्ली, पत्रिका। हम लगातार हिमालय की रक्षा के लिये केन्द्र सरकार से अलग मंत्रालय की माँग कर रहे हैं। इस पर गम्भीरता से विचार करना चाहिए। अलग मंत्रालय होने से हिमालय से जुड़ी तमाम समस्याएँ, जानकारी और कार्यवाही एक ही स्थान पर हो सकेगी। यह बात पर्यावरणविद डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में कही।गोपनीय खेती
Posted on 17 Aug, 2018 06:20 PMऐसे कई आरोप हैं कि भारत में अनुवांशिक रूप से संवर्धित खाद्य फसलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है। भारत में किन-किन स्थानों पर, कौन-कौन सी जीएम फसलों की खेती करने का आरोप है, यह सब जानने के लिये अनिल अश्विनी शर्मा ने व्यापक स्तर पर लोगों से विशेषज्ञों से बात क