अमृतलाल वेगड़
अमृतलाल वेगड़
मानोट से कुटरई
Posted on 09 Aug, 2015 12:06 PMमौसम साफ था और हवा शरद का स्पर्श लिए थी। ऊँचे पेड़ों से धूप छन-छनकर आ रही थी। मेरे साथियों का उत्साह उफान पर था। उन्हें यहाँ मनचाहा एकान्त और शान्ति प्राप्त हो रही थी। कुछ दिन पूर्व ही वे महानगरों की गहमागहमी, शोरगुल और आपाधापी में डूबे हुए थे। अब वे यहाँ वनों,पहाड़ों और हरे-भरे खेतों को निहार रहे थे, निस्तब्धता को आत्मसात कर रहे थे। और नदी से लगी ऊबड़-खाबड़नर्मदा नदी की आत्मकथा
Posted on 08 Aug, 2015 03:49 PMहमारा देश आज जैसा है, सदा वैसा ही नहीं रहा। आज जहाँ हिमालय है करोड़ों वर्ष पूर्व वहाँ उथला समुद्र था। किसी भूकम्प ने उसे हिमालय में बदल डाला, हालाँकि इसमें लाखों वर्ष लगे।भेड़ाघाट से ग्वारीघाट (जबलपुर)
Posted on 08 Aug, 2015 11:18 AMसमुद्र की तलाश में निकला पानी है नदी और नदी की तलाश में निकला पदयात्री है परकम्मावासी। एक न एक दिन दोनों की तलाश पूरी होती है। कल दोपहर तक मैं भी अपने गंतव्य तक पहुँच जाऊँगा। मैं उस यात्री की तरह हूँ, जो अपने घर के समीप वाले मोड़ पर पहुँच गया हो। परिक्रमा के इस अंतिम चरण में कान्ता सहयात्री बनकर चल रही है, इसका आनन्द अनोखा है। हालाँकि मुझे हमेशा लगा है कि मेअमरकंटक से डिंडौरी
Posted on 04 Aug, 2015 10:11 AMक्या गार्गी और कान्ता मेें कोई दैवी शक्ति आ गई है? आज पहले ही दिन हम प्राय: 18 कि.मी. चले थे और उन्होंने जरा भी थकान महसूस नहीं की। बल्कि आते ही खाना बनाने में जुट गईं। इतना चलने के बाद जो पहला गाँव पड़ा, वह था पकरीसोंढ़ा- नर्मदा किनारे पसरी छोटी-सी बस्ती। रात को पाठशाला के बरामदे में सोए और ठंड में ठिठुरे।
अमरकंटक
Posted on 04 Aug, 2015 09:08 AMअमरकंटक से कपिलधारा तक नर्मदा सीधे-सपाट मैदान में से होकर बहती है।संस्कृतियों का जन्म नदियों की कोख से
Posted on 07 Jan, 2010 07:31 PMपानीजब समुद्र से आता है तब बादल
और जाता है तो नदी कहलाता है।
बादल उड़ती नदी है
नदी बहता बादल है!
बादल से वर्षा होती है
वर्षा इस धरती की शालभंजिका है।
उसके पदाघात से धरती लहलहा उठती है।
और जब वर्षा नहीं होती
तब यही काम नदी करती है।
वर्षा और नदी- धरती की दो शालभंजिकाएँ।
विचार और कर्म (कल्पना और यथार्थ)