यूसर्क द्वारा ‘जल शिक्षा‘ संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन

वाटर एजुकेशन सेन्सिटिजेशन पर वेबिनार का आयोजन
वाटर एजुकेशन सेन्सिटिजेशन पर वेबिनार का आयोजन

‘जल शिक्षा‘ संवेदीकरण (वाटर एजुकेशन सेन्सिटिजेशन) विषय पर वेबिनार का आयोजन उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) ने किया। कार्यक्रम में शामिल विशेषज्ञों ने पहाड़ के परंपरागत जलस्रोतों के संरक्षण और प्रबंधन पर जोर दिया। 29 अप्रैल को आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने जलस्रोतों के संरक्षण संवर्धन व प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि भविष्य के जल संकट से निकलने के लिए हमें जलशिक्षा को समाज में ले जाने के लिए काम करना होगा। प्रो. दुर्गेश पंत ने जलस्रोतों के महत्व को बताते हुए कहा कि हमें जल स्रोतों के प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। दुर्गेश पंत ने यह भी रेखांकित किया कि कोरोना महामारी के समय में सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करते हुए तकनीकी के उचित इस्तेमाल द्वारा अपने जलश्रोतों का सम्वर्धन व प्रबंधन करते हुए जल शिक्षा को आगे ले जाना है।

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) के वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने कार्यक्रम के समन्वयक के तौर पर ऑनलाइन-मीटिंग प्लेटफॉर्म से जुड़े सभी विषय विशेषज्ञों का स्वागत किया। उन्होंने यूसर्क में चल रहे विभिन्न जल संबंधित कार्यक्रमों जैसे जलस्रोतों की जलगुणवत्ता का अध्ययन, जलशिक्षा, जलस्रोतों के जीआईएस आधारित अध्ययन और मोबाइल एप्लीकेशन विकास से संबंधित जानकारियाँ विस्तृत रूप से दीं।

जल शिक्षण और प्रशिक्षण पर जोर

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ वीसी गोयल ने कहा कि जलस्रोतों के उचित प्रबंधन एवं संरक्षण को हमें प्राथमिकता देनी चाहिए। छात्रों शिक्षकों इंजीनियर के साथ ही, जो लोग भी जलस्रोतों के संरक्षण के काम में लगे हो उनके लिए हमें लगातार और नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करते रहना चाहिए। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक इंजीनियर ओमकार सिंह ने जलश्रोतों के पुनर्जीवन पर प्रकाश डालते हुए हरिद्वार एवं देश के अन्य भागों में हुई सफल योजनाओं को विस्तार पूर्वक बताया।

हैस्को के जल वैज्ञानिक विनोद खाती ने उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों पर हैस्को की ओर से हुए जल संरक्षण कार्यो का जिक्र करते हुए कहा कि हमें जल प्रबंधन के काम को बहुत कुशलता से और जल्दी शुरू करने की जरूरत है। केंद्रीय भूमि जल परिषद उत्तराखंड के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक श्री रवि कल्याण बुस्सा ने भूमिगत जल के रिचार्ज, दून घाटी के भूजल स्तर के अध्ययन पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हुए जल के संरक्षण की बात कही। टाटा वाटर मिशन देहरादून के वैज्ञानिक डॉ सुनेश शर्मा ने वाटर सिक्योरिटी पर अपना व्याख्यान देते हुए उत्तराखंड राज्य के नौलों व धारों के प्रबंधन व पुनर्जीवन पर बोलते वाटर बजट का अध्ययन समझाया एवं ‘आर्टिफीसियल ग्राउंड वाटर रिचार्ज (AGWR)’ करने को कहा।

अनुभवों से सीखकर आगे बढ़ने का आग्रह 

स्याही देवी विकास समिति अल्मोड़ा से श्री गजेंद्र कुमार पाठक ने ए एन आर तकनीकी अपनाकर मिश्रित वनों के विकास कार्यों को समझाया। पिथौरागढ़ के डॉ हेमंत जोशी ने सरयू एवं कोसी नदी पर उनके द्वारा किये गया जल गुणवत्ता कार्यों को प्रस्तुत किया गया एवं वेदों में बताये गए जल के महत्व को बताया। विरला संस्थान भीमताल के डॉ आशुतोष भट्ट ने यूसर्क के सहयोग से बनाये गए जल गुणवत्ता आईओटी उपकरण पर अपना व्याख्यान दिया । डॉ भट्ट ने उक्त उपकरण द्वारा किसी भी जलश्रोत की रियल टाइम डाटा एनालिसिस को समझाया। अलायंस फॉर रिवर संस्था इंदौर से श्री संजय गुप्ता ने सभी से एक साथ मिलकर कार्य करने का आवाहन किया जिससे और अधिक फलदायी परिणाम मिल सकें।

नौला फाउंडेशन अल्मोड़ा से श्री महेंद्र बनेशी ने अल्मोड़ा एवं आस पास के क्षेत्रों में नौलों-धारों के पुनर्जीवन कार्यों को विस्तार से प्रस्तुत करते हुए जलश्रोतों को संरक्षण की बात कही। देव संस्कृति विश्व विद्यालय हरिद्वार के शिक्षक एवं शोधार्थी श्री मोहित शर्मा ने गंगा नदी पर जल गुणवत्ता स्टडी पर बताया। कार्यक्रम में यूसर्क वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र राणा ने जलशाला के अंतर्गत चलने कार्यों पर बोलते हुए स्मार्ट ईको क्लब पर बात कही। डॉ मंजू सुन्द्रियाल ने साइंस ऑफ सर्वाइवल विषय पर जानकारी दी।वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने चम्पवात व पिथौरागढ़ पर चल रहे रेडिएशन स्टडी पर बताया।

कार्यक्रम के पहले सत्र में जलशिक्षा के सेन्सीटाइजेशन कार्यक्रम में गजेंद्र कुमार पाठक, भीमताल के डॉक्टर आशुतोष भट्ट, इंदौर से संजय गुप्ता देव संस्कृति विश्वविद्यालय के शिक्षक मोहित शर्मा, वैज्ञानिक डॉ राजेंद्र राणा, डॉ मंजू सुंद्रियाल, ओम जोशी, रमेश जोशी, डॉक्टर ओमप्रकाश नौटियाल, डॉ कपिल श्रोत्रीय, उमेश जोशी, डॉ विजय शर्मा, महेंद्र बनेसी सहित करीब 40 के प्रतिभागियों ने ऑनलाइन अपने विचार व्यक्त किए।

देश-विदेश के 58 प्रतिभागियों ने भाग लिया

दूसरे अन्य सत्र में बोलते हुए विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने वैदिक इन्फार्मेटिक्स पर बोलते हुए प्राचीन भारतीय ज्ञान विज्ञान पर कार्य करने का आह्वान किया। जल शिक्षा के सेन्सीटाइजेशन पर आयोजित इस कार्यक्रम में विधायक चौहान ने इशारा किया कि लाकडाउन से उपजी परिस्थितियाँ हमें सोचने का अवसर दे रही हैं कि हम प्राचीन ज्ञान-विज्ञान का उपयोग कैसे कर पाएं। डॉ अभय सक्सेना ने वेद, आधुनिक विज्ञानं, जल विज्ञानं आदि पर अपनी प्रस्तुति दीं। इस सत्र में मलयेशिया यूनाइटेड किंगडम, सिडनी, साउथ अफ्रीका, दुबई आदि देशों से और भारत के विभिन्न राज्यों 58 प्रतिभागिओ ने प्रतिभाग किया।

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