भारतीय भाषाएँ ध्वन्यात्मक (Phonetic) हैं। सभी भारतीय भाषाओं के लिये वर्णक्रम साम्य आई एस सी आई आई (ISCII) राष्ट्रीय कोड बनाया गया है। इस 8 बिट कोड में अंग्रेजी और एक भारतीय भाषा समाहित थी और भाषा बदल ए एल टी (ALT) कुँजी से लगभग 15 बड़ी आईटी कंपनियों के संयुक्त प्रयास से विश्व भाषाओं के लिये 16 बिट यूनीकोड कोड बनाया गया। इसमें भाषा बदल की जरूरत ही नहीं है। लेकिन यह लिपि पर आधारित है, जो-जो रूपिम आकृतियाँ अलग से प्रयोग में आती हैं उन्हें कोड में जगह दी गई है। 1991 में 9 कंपनियों ने यूनीकोड कंसोर्शियम बनाया। इसमें 2009 में 11 पूर्ण सदस्य, 4 संस्थागत, 27 एसोशिएट सदस्य हैं। भारत सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग 2000 में सदस्य बना।
![यूनीकोड से फोनीकोड](https://c2.staticflickr.com/6/5696/31112288641_9fb086bfa4.jpg)
पाणिनी ने स्वर और व्यंजन समूहों को उच्चारण स्थान और विधि के अनुसार अलग-अलग वर्गीकृत किया है। ध्वन्यात्मक नागरी वर्णमाला को पाणिनी सारणी (Panini Table) में दिखा सकते हैं। जिस प्रकार रसायन विज्ञान में मेंडलीफ टेबल परमाणु क्रम को दर्शाती है जिससे रासायनिक यौगिक क्रियाओं को समझना आसान होता है, उसी प्रकार ध्वनि यौगिकों को पाणिनी टेबल से समझना आसान होगा। वर्गीकरण से अन्य संभावित ध्वनियों को जोड़ना भी आसान है।
![यूनीकोड से फोनीकोड](https://c5.staticflickr.com/6/5757/31082596572_9b5a4e9293.jpg)
अल्प नासिक्य ध्वनि को अनुस्वार 0. का रूपिम और अल्प
![यूनीकोड से फोनीकोड](https://c3.staticflickr.com/6/5522/31082596842_244e2a8461.jpg)
वर्ण =
अक्षर =
A* = व्पुनरावृत्ति दर्शाता है
स्वर =
अकारांत व्यंजन =
संयुक्ताक्षर =
स्वरांत/मात्रा =
(ह्रस्व) मूल स्वर =
अल्प स्वर =
दीर्घ स्वर =
व्युत्पन्न स्वर = ........
ध्वनियों को और गहराई से भेद करके निरूपण हेतु अलग-अलग रूपिम संप्रतीक भी दिये जा सकते हैं। संस्कृत में यह भेद किया जाता है, जिससे उच्चारण शुद्ध रहे।
इन ध्वनियों को कोडित करने के लिये व्यंजनों के लिये
(25+4+4) × 3 = 87 = 90 कोड प्वाइंट
स्वरों के लिये
(5+1) × 3+2 = 20 कोड प्वाइंट
कोडन सुविधा एवं व्यावहारिकता की दृष्टि से व्यंजन भेद दो प्रकार के ही होते हैं, तो
(व्यंजन-स्वर) अक्षर = (20×2) × 20 = 1160
(द्वि व्यंजन-स्वर) अक्षर = 2×[(29×29)×20] = 33640
इनमें से लगभग 10 प्रतिशत अर्थात 3400 व्यावहारिक होंगे।
(त्रि व्यंजन-स्वर) अक्षर = (29×29×29)×20 = 487780
इनमें से लगभग 0.1 प्रतिशत अर्थात 500 व्यावहारिक होंगे = 500
इस प्रकार 1160+90+20 = 1270 सामान्य अक्षर 3400+500 = 3900 संयुक्ताक्षर ध्वनियों और लगभग 500 भावात्मक (Emotional) विशिष्ट ध्वनियों को भी फोनीकोड में कोडित कर सकते हैं। विशिष्ट संप्रतीकों को फोनीकोड में देख सकते हैं। फोनीकोड से यूनीकोड में परिवर्तित कर टैक्स्ट प्रिंट कर सकते हैं। स्पीच टू टैक्स्ट। यूनीकोड से फोनीकोड में परिवर्तित करके टैक्स्ट से स्पीच तैयार कर सकते हैं। फोनीकोड के हर कोड प्वाइंड के लिये स्पीच वेब फार्म संग्रहीत रहेगी। इस प्रकार नेचुरल (स्वाभाविक) स्पीच बनाने में आसानी होगी। स्वर विज्ञानी, भाषाविद और कम्प्यूटर स्पीच विशेषज्ञ की टीम फोनीकोड का मानक तैयार कर सकते हैं। भारतीय भाषाओं के लिये यह बहुत उपयोगी और आसान होगा।
![यूनीकोड से फोनीकोड](https://c2.staticflickr.com/6/5651/31112289161_0ec1afe695.jpg)
दो दशकों से प्रयास किए जा रहे हैं कि मानव-बोल मशीन समझ ले। यूनीकोड से विश्वभाषाओं को एक साथ रखा जा सका। फोनीकोड से मशीन मानव-बोल समझ सकेगी और मानव जैसा बोल सकेगी। इस प्रकार श्रुति क्रांति का आरंभ होगा।
Path Alias
/articles/yauunaikaoda-sae-phaonaikaoda-sarautai-karaantai-kai-ora
Post By: Hindi