यमुना में नहीं रुक पा रही गन्दगी

अभी तक यमुना में गिरने वाले गन्दे पानी पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है और न ही यमुना में जल छोड़ा गया है। इसे लेकर स्थानीय नाव चालकों एवं आने वाले श्रद्धालुओं में रोष व्याप्त है। ज्ञात रहे कि धार्मिक नगरी श्री धाम वृन्दावन में प्रतिवर्ष उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिसके चलते दूरदराज से आने वाले लाखों श्रद्धालु सर्वप्रथम माँ यमुना में डुबकी लगाकर यमुना जल आचमन कर पापों को दूर करने का संकल्प लेते हैं। यमुना शुद्धिकरण की माँग को लेकर विभिन्न संस्थाओं द्वारा लम्बे समय से अभियान चलाया जा रहा है, जिसको लेकर पूर्व में सन्त रमेश बाबा के सानिध्य यमुना भक्तों ने केसीघाट से लेकर दिल्ली तक पदयात्र निकालकर सरकार से यमुना में पानी छोड़े जाने की माँग की थी।

इतना ही नहीं बल्कि सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पतित पावनी यमुना में नगर के सभी नालों और सीवर का दूषित पानी सीधे यमुना में जा रहा है। नोडल अधिकारी ने भी यमुना की ओर से पीठ कर ली है। नगर में छह सीवेज पम्पिंग स्टेशन एवं दो सीवेज ट्रीटमेन्ट प्लाण्ट थे, लेकिन अब नगर में मात्र एक एसटीपी चार एमएलडी क्षमता पुरानी तकनीक का संचालित किया जा रहा है। इसकी स्थिति अति पुरानी होने के कारण उचित नहीं है, जबकि कालीदह स्थित हाफ एमएलडी का एसटीपी पूरी तरह बंद हो गया है। नगर में पालिका के आकड़ों के अनुसार प्रतिदिन 12 एमएलडी सीवर का दूषित पानी निकलता है। चार एमएलडी का शोधन के बाद बांकी आठ एमएलडी दूषित सीवर का पानी और नगर के सभी नालों का दूषित पानी सीधे यमुना में मिल रहा है।

यही कारण है कि यमुना का पानी काला और अतिदूषित हो गया है। इतना ही नहीं यमुना महारानी का दूषित होने के साथ ही अब नगर क्षेत्र के भूजल श्रोत भी दूषित होने के कगार पर है, क्योंकि नगर के क्षेत्र में बनी आवासीय कालोनियों में एक भी एसटीपी प्लाण्ट नहीं लगाया गया। आखिर इनसे निकलने वाला दूषित जल एवं मल कहाँ जा रहा है। यह सवाल नगरवासियों के जेहन में तैर रहा है। बताया जाता है कि इन आवासीय कालोनियों से या तो यमुना की ओर पाइप लाइन निकाली गई है या जमीन में अड़ी बोरिंग की गई है। इससे अधिकांश आवासीय कालोनियों का दूषित पानी सीधे भूजल को प्रदूषित कर रहा है। हैरानी की बात सामने आई कि नगर की आधी से अधिक आबादी का सीवर एवं ड्रेनेज इन दिनों व्यवस्थित नहीं है। यह प्रदूषित जल सीधे यमुना में जा रहा है। इसके कारण श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुँच रही है और प्रदेश सरकार व स्थानीय जिला प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।

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