लिखित आश्वासन के बाद लौटने को राजी हुए ब्रजवासी
करार के मुताबिक सरकार ने कुछ दीर्घकालिक प्रस्ताव भी दिए हैं जिनमें से तीन लंबित बांधों के लिए एक कमेटी का गठन करने की बात की गई जो त्वरित गति से तीन बांधों का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके अलावा राजधानी में वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ाने, यमुना खादर में जगह-जगह बड़े-बड़े जलाशय बनाने की बात भी की गई है। सरकार ने ग्राउंडवाटर के अध्ययन के लिए भी एक कमेटी बनाने का भरोसा दिया है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद उसे जल्द क्रियान्वयित किया जाएगा। यमुना को हथिनीकुंड से मुक्त कराने वृंदावन से पदयात्रा कर आए हजारों आंदोलनकारी बुधवार रात को तब अपना आंदोलन वापस करने पर राजी हो गए जब उन्हें लिखित में यह भरोसा दिया गया कि ओखला के आगे हिंडन नदी के जरिए गंगा से 225 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा जाएगा ताकि वृंदावन-मथुरा तक नदी में पर्याप्त प्रवाह रहे। आंदोलनकारियों व सरकार के मध्य बीच का रास्ता निकलने के बाद यमुना रक्षक दल के अगुआ बाबा जयकृष्ण दास ने आंदोलन वापसी का एलान कर दिया। देर रात केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने आलीगांव पहुँचकर आंदोलनकारियों को समझौता पत्र पढ़कर सुनाया। उन्होंने फिलहाल तो आंदोलनकारियों से घर लौटने की अपील की लेकिन आंदोलन को जारी रखने का सुझाव दिया ताकि सरकार को बार-बार सतर्क किया जा सके। अब गुरुवार को आंदोलनकारी ब्रजमंडल वापस हो जाएंगे।
दिल्ली का कोई भी नाला यमुना में नहीं मिलेगा
देर रात तक जल संसाधन मंत्री हरीश रावत व दल के प्रतिनिधिमंडल के बीच चली वार्ता के बाद जो करार-पत्र तैयार हुआ, उसके मुताबिक दिल्ली से कोई भी नाला यमुना में नहीं डाला जाएगा, इसके लिए यमुना के पश्चिमी तट पर नहर खोदी जाएगी जिसमें शहर के 18 बड़े नालों का गंदा पानी बहेगा और उसे यमुना में नहीं डाला जाएगा। हथिनीकुंड से जल छोड़ने के मामले में तो आंदोलनकारियों को सफलता नहीं मिली पर सरकार इस बात पर सहमत हो गई है कि हिंडन नदी के जरिए गंगा का 225 क्यूसेक पानी ओखला के आगे यमुना में मिलेगा ताकि वृंदावन तक यमुना में एक प्रवाह कायम रहे। आंदोलनकारी इस बात से बेहद खुश नजर आए कि इलाहाबाद में संगम से पहले ही यमुना में गंगा की एक धारा आकर मिलेगी। सरकार ने पश्चिमी यमुना नहर से भी एक लिंक दिल्ली के बाद यमुना में डालने के लिए संभावना ढूंढने का प्रस्ताव रखा है।
आंदोलन तो जारी रहेगा...
करार के मुताबिक सरकार ने कुछ दीर्घकालिक प्रस्ताव भी दिए हैं जिनमें से तीन लंबित बांधों के लिए एक कमेटी का गठन करने की बात की गई जो त्वरित गति से तीन बांधों का मार्ग प्रशस्त करेगी। इसके अलावा राजधानी में वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ाने, यमुना खादर में जगह-जगह बड़े-बड़े जलाशय बनाने की बात भी की गई है। सरकार ने ग्राउंडवाटर के अध्ययन के लिए भी एक कमेटी बनाने का भरोसा दिया है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद उसे जल्द क्रियान्वयित किया जाएगा। आंदोलन के अगुआ बाबा जयकृष्ण दास ने बताया कि आंशिक रूप से हमारी मांगे मान ली गई हैं इसलिए हम लौट रहे हैं हालांकि हमारा आंदोलन जारी रहेगा, 15 मई को दिए गए आश्वासनों का असर देखकर एक बार फिर आंदोलन को अगले पड़ाव पर ले जाएंगे। आंदोलन का अंतिम लक्ष्य यमुना को यमुनोत्री से संगम तक निरंतर प्रवाहवान बनाने का है। आंदोलनकारियों ने सरकार से यह मांग भी की है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत एक ऐसी अधिसूचना जारी की जाए जिससे सभी राज्य अपने यहां से बहने वाली नदियों में निरंतर प्रवाह बनाए रखे और उसके लिए प्रयास करें ताकि नदी जीवित रहे।
दिन भर इंतजार में बैठे रहे आंदोलनकारी
![आली गांव में आंदोलनकारियों को आश्वासन देते हुए यमुना रक्षक दल के अगुआ बाबा जयकृष्ण दास आली गांव में आंदोलनकारियों को आश्वासन देते हुए यमुना रक्षक दल के अगुआ बाबा जयकृष्ण दास](/sites/default/files/hwp/import/images/yamuna padyatra_1.jpg)
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