यमुना की सफाई में डीडीए की चाल सुस्त

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कई बार लग चुकी फटकार पर हालत में नहीं सुधार
.नई दिल्ली। यमुना की सफाई का जिम्मा भले ही डीडीए के पास हो, लेकिन इस दिशा में प्राधिकरण की चाल बेहद ढीली नजर आ रही है। डीडीए ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। इस वजह से उसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से कई बार फटकार भी लग चुकी है।

ज्ञात हो कि पिछले साल के आखिर में डीडीए ने यमुना पुनरुद्धार के तहत केन्द्रीकृत सेन्टर खोलने का ऐलान किया था, लेकिन अब तक भी इसकी मौजूदगी कहीं नजर नहीं आ रही है। इसके अलावा डीडीए ने यमुना टास्क फोर्स का भी गठन किया था, बावजूद इसके नदी किनारे गन्दगी और अतिक्रमण का सिलसिला खत्म नहीं हुआ। ज्ञात हो कि यमुना की सफाई में 6500 करोड़ रूपए पहले ही बर्बाद किए जा चुके हैं और बावजूद इसके यमुना नाले में तब्दील हो चुकी है। यमुना के घाटों पर गन्दगी का आलम है, लेकिन यहाँ कोई सरकार एजेन्सी सक्रिय नजर नहीं आ रही है।

एनजीटी गन्दगी फैलाने वालों के खिलाफ पाँच हजार से 50 हजार रूपये तक जुर्माना लगाने का आदेश दे चुका है, लेकिन इसके अमल के लिए कोई कर्मचारी तक नियुक्त नहीं किए गए हैं। डीडीए की सुस्त चाल का अन्दाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब जाकर एनजीओ और अन्य सम्बन्धित एजेन्सियों से यमुना साफ करने की दिशा में आगे आने को कहा गया है। ये एनजीओ और एजेन्सी ही पूजा सामग्री और अन्य गन्दगी को दूर करने का काम करेंगी। वैसे, डीडीए ने यमुना की सफाई और सुन्दरता के लिए बड़े-बड़े ख्वाब देखे हैं, लेकिन इस दिशा में कुछ भी होता नजर नहीं आ रहा है।

डीडीए उपाध्यक्ष बलविंदर कुमार की मानें, तो यमुना किनारे आने वाली डीडीए की 60 हजार वर्ग मीटर जमीन पर फुलों की खेती की जायेगी, जिससे यमुना किनारे सुन्दरता को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा यमुना नदी में पूजा सामग्री फेंकने और इसके किनारे मलबा डालने वालों पर नजर रखने के लिए 200 सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे। लेकिन हालात ये हैं कि अब तक इस दिशा में कुछ भी नहीं किया गया है। साफ है कि इस दिशा में विभिन्न सरकारी एजेन्सियों के बीच तालमेल की कमी साफ नजर आ रही है।

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