यमुना के खादर में नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम के लिए उठी आगरा में मांग

नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम (प्राकृतिक सीवेज उपचार प्रणाली) की मांग आगरा के यमुना सत्याग्रही पंडित अश्विनी कुमार मिश्र ने 2007 में उठाई। उन्होंने मंडलायुक्त आगरा को 30 नवंबर 2007 में पत्र देकर मांग की कि यमुना में मिलने वाले बरसाती नालों पर नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम लगाया जाय। ‘प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ उन्हीं नालों पर लगाया जाता है, जिन नालों के पानी में कोई रसायन मिला हुआ जहरीला पानी न आता हो। उन्होंने साथ में यह भी मांग की कि यमुना खादर में गिरने वाले प्राकृतिक नालों पर ‘प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ लगाया जाय ताकि उनको किसी भी तरह की बिजली और मानवीय प्रबंधन की जरूरत न रहे। उन्होंने यह भी मांग की कि नये बनने वाले कॉलोनियों में लोकल स्तर पर ही ‘एसटीपी’ लगाने का प्रावधान किया जाय।

नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टमनेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टमयमुना के घाटों पर ‘नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ बनाकर उसका पानी सिंचाई हेतु उपयोग किया जाय। 02 नवंबर 2007 को मंडलायुक्त आगरा ने संबंधित विभागों को पत्र लिखकर कहा कि देशी पद्धति द्वारा यमुना जल शुद्धिकरण के संदर्भ में उचित कार्रवाई की जाय। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि स्वयंसेवी संगठनों और गैरसरकारी संस्थाओं की भी मदद इसमें ली जाय।

यमुना सफाई के काम में पूंजी आधारित योजनाओं से बचने और प्राकृतिक तरीकों को अपनाने पर ज्यादा जोर दिया जाय। ‘गुरू वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास समिति’ के पंडित अश्विनी कुमार मिश्र जो पिछले लगभग पांच साल से हाथीघाट, आगरा पर यमुना जी के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं, कहते हैं कि ‘प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ से खाली हो रहे भूगर्भ को भी जल से भरा जा सकता है। इसके लिए वे लगातार सरकार के विभिन्न विभागों को पत्र लिखकर व सम्पर्क कर बताते रहें हैं कि यमुना की सफाई के लिए यह योजना केवल और केवल श्रम मांगती है। उनके सतत् प्रयास और वनविभाग के सहयोग से फरवरी 2010 में ककरेठा वनक्षेत्र में इस तरह का एक प्रोजेक्ट शुरू भी किया गया और प्रोजेक्ट काफी सफल भी रहा। ककरेठा के आस-पास से 4 प्रमुख नाले यमुना मे गिरते हैं, उन्हें वनविभाग ने वनभूमि की तरफ मोड़ दिया। इस पानी को एक के बाद एक तालाबों में डालकर साफ किया गया। तालाब में पानी रोककर बालू, बजरी, तथा पत्थरों के टुकड़ो से होकर गुजारा गया। जिससे काफी हद तक पानी साफ हो जाता है। इसके साथ ही पानी के प्रवाह क्षेत्र में बांस, केली, टाइफा जैसे तमाम पौधे लगाकर पानी के जहरीले तत्वों को अवशोषित कराने का भी काम किया गया। लेकिन इस तरह के लिए अन्य और कामों पर सरकार ने कोई कोष जारी नहीं किया जिससे आगे का काम रुक चुका है।

‘गुरू वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास समिति’ सहित कई संस्थाओं ने मांग की है कि सरकार तुरंत ‘नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम' की योजनाओं पर अमल शुरू करे। यमुना किनारे के विभिन्न शहरों और जंगलों में इस पर ध्यान दे।

संलग्नक

1. मंडलायुक्त आगरा को 30 नवंबर 2007 को लिखा गया पत्र
2. 30 नवंबर 2007 को मंडलायुक्त आगरा को दिया गया ‘प्राकृतिक सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम’ संबंधी प्रस्ताव
3. 02 नवंबर 2007 का आयुक्त कार्यालय से जारी पत्र
4. इससे संबंधित अखबारों की कतरने
5. ककरेठा, आगरा प्राकृतिक नेचुरल सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम से संबंधित फोटोग्राफ

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