हाथ में लक्ष्मी, सरस्वती और ब्रह्मा का निवास होता है इसलिए सुबह उठकर लोग सबसे पहले अपने हाथों को देखते हैं। हाथ की सफाई स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ी जरूरत है अगर हम अपने हाथ की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दे तो घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। जैसे शौच के बाद हाथ धोना, खाना खाने से पहले हाथ धोना आदि सावधानियों को बरत कर अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है, बता रही हैं पूर्णिमा वर्मन।
हाथों की महिमा अपरंपार है। कोई 'अपने हाथ जगन्नाथ' कहता है, तो कोई कहता है, 'ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर।' हाथ से संबंधित जितनी लोकोक्तियाँ और मुहावरे भारतीय साहित्य में हैं, शायद ही शरीर के किसी अन्य अंग के विषय में हों। दोस्ती और विवाह जैसे मानवीय संबंधों में हाथ की महत्वपूर्ण भूमिका है। दैनिक जीवन के अतिरिक्त संगीत, नृत्य, योग और धार्मिक अनुष्ठानों में हाथों की मुद्राओं के विभिन्न प्रयोग और अर्थ हैं। बातचीत में भी मुख के साथ हाथों की अभिव्यक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता। मूक और बधिर लोगों के लिए तो हाथों की विशेष भाषा ही है। हाथों में लक्ष्मी, सरस्वती और ब्रह्मा का निवास मानते हुए प्रातः उठकर 'कर दर्शन' की प्राचीन भारतीय परंपरा का अनुकरण करने वालों की आज भी कमी नहीं। यही कारण है कि हाथों की स्वच्छता का मानव की सभी सभ्यताओं में विशेष ध्यान रखा गया है।
हाल ही में फ्रांस में हुए एक शोध के अनुसार किसी डॉक्टर, नर्स या तकनीशियन की जरा सी लापरवाही पूरे अस्पताल की कड़ी मेहनत पर पानी फेर सकती है। शोध में कहा गया है कि अक्सर अस्पताल में चिकित्सा के लिए जाने वाले रोगी कुछ नए जीवाणुओं से संक्रमित होकर वापस लौटते हैं। मेथिसिलिन प्रतिरोधक स्टेफेलियो कोकस औरियस (Methicillin-resistant Staphylococcus aureus) जिन्हें संक्षेप में (एम.आर.एस.ए.) कहते हैं इसी प्रकार के महाजीवाणु हैं। इन्होंने अधितकतर एंटीबायोटिक दवाओं के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता प्राप्त कर ली है। इनके इलाज में विकसित देशों की सरकारें करोड़ों डालर खर्च करती हैं और विश्व में हजारों रोगी प्रतिवर्ष अपने जीवन से हाथ धोते हैं। यों तो अस्पताल का वह हर कर्मचारी संक्रमण फैलाने का काम करता है जो रोगी को छूने के बाद हाथों को ठीक से नहीं धोता लेकिन सबसे अधिक संक्रमण (लगभग 23 प्रतिशत) केवल रेडियोलॉजिस्ट और फिजिकल थेरेपिस्ट के हाथों से फैलता है। संक्रमण फैलने का खतरा उस समय तीन गुना बढ़ जाता है जब ठीक से हाथ न धोने वाला कर्मचारी पूरे अस्पताल में घूमता है। इसकी अपेक्षा एक ही वार्ड का निरीक्षण करने वाली नर्स या सफाई कर्मचारी कम संक्रमण फैलाते हैं। अस्पताल के कर्मचारियों को हाथ धोने का विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन इसका पालन अक्सर सख्ती से नहीं होता है।
कुल मिलाकर यह कि अपना हाथ जगन्नाथ है तो उसे धो धोकर मंदिर की तरह साफ करें और हर प्रकार के संक्रमण से दूर रहें। दूसरे के हाथों पर भरोसा न करें ऐसा करना सुरक्षा और चिकित्सा की आड़ में जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।
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