भारत की समृद्ध और प्रचुर वन सम्पदा हमारी अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। भारत के लगभग एक-चैथाई भाग में घने वन हैं जो दुनिया के लगभग सभी प्रकार के वनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। देश की आबादी का एक बड़ा भाग अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से वनों पर निर्भर हैं। ईंधन और फलों के अलावा फर्नीचर के लिए लकड़ी, पशुओं के लिए चारा, कई उद्योगों के लिए कच्चा माल और कई तरह की दवाओं के लिए जड़ी बूटियाँ आदि वनों से ही प्राप्त होती हैं। यही वजह है कि भारत में वन प्रबन्धन के पेशेवरों की अच्छी खासी माँग है। भारतीय वन सेवा के अलावा अन्य क्षेत्रों में वनों से जुड़े विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है जिनमें कागज उद्योग, नर्सरी उद्योग, ऐसी कम्पनियाँ जो वनों में उपयोग होने वाले उत्पाद तैयार करती हैं, बंजर भूमि विकास, पर्यावरण आदि शामिल हैं।
योग्यता
वानिकी के पेशे में आने की इच्छा रखने वालों के लिए बारहवां और स्नातक के बाद कई प्रकार के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए बारहवीं विज्ञान विषयों से पास होना चाहिए। इसी तरह स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए बीएससी होना अनिवार्य है। कुछ संस्थान कैट परीक्षा के आधार पर एमबीए में दाखिला देते हैं।
पाठ्यक्रम
- बीएससी वानिकी
- एमएससी वानिकी
- बीएससी वन्यजीव शिक्षा
- एमएससी वन्यजीव शिक्षा
- मास्टर इन वुड साइंस एंड टिंबर मैनेजमेंट
- एमबीए वन प्रबन्धन
- पीजी डिप्लोमा वन प्रबन्धन
- पीजी डिप्लोमा स्थिरता प्रबन्ध
जरूरी दक्षता
- प्राकृतिक वातावरण में रुचि
- कृषि और भूगोल में रुचि
- धैर्य और वैज्ञानिक स्वभाव
- साहसिक और अच्छा स्वास्थ्य
- सहनशक्ति और शारीरिक फिटनेस
- आयोजन क्षमता
- जन सम्पर्क कौशल
- निर्णय लेने की दक्षता
- लम्बे समय तक कार्य करने में सक्षम
अवसरों की भरमार
वन अधिकारी
इनका कार्य वनों की सुरक्षा के साथ-साथ नए वन क्षेत्र निर्मित करना होता है। ये वन्य जीवों के संरक्षण के अलावा वन्य क्षेत्र को अग्नि और चोरों से बचाकर लैंडस्केप मैनेजमेंट करते हैं।
वृक्ष विज्ञानी
ये वृक्षों और पौधों के वैज्ञानिक अध्ययन के विशेषज्ञ होते हैं। इनके कार्यों में इतिहास, जीवनकाल पर अनुसंधान, वृक्षों का माप व वर्गीकरण और वनों के विनाश को रोकने के उपायों का अध्ययन शामिल होता है।
इथोलॉजिस्ट
इथोलॉजिस्ट द्वारा किसी जीव के प्राकृतिक पर्यावरण में विकास, व्यवहार, जैविक कार्यकलापों का अध्ययन किया जाता है। इनके द्वारा चिड़ियाघर, मछलीघर और प्रयोगशालाओं के जानवरों के लिए परिवेश निर्मित किया जाता है। मानव शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान सम्बन्धी ज्ञान बढ़ाने के लिए पशु व्यवहार का अध्ययन भी इनके द्वारा किया जाता है।
कीटविज्ञान शास्त्री
ये कीटाणुओं तथा रोगाणुओं द्वारा फैलाए जाने वाले रोगों के अध्ययनकर्ता और नियंत्रण विशेषज्ञ होते हैं।
वन क्षेत्रपाल अधिकारी
ये लोग वन, बॉटेनिकल गार्डन आदि की देखभाल करते हैं। उनके सहयोग के लिए रेंजर, कंजरवेटर, लॉगर और कनिष्ठ कर्मचारी मौजूद रहते हैं। इस पद पर भारतीय वन सेना परीक्षा द्वारा नियुक्ति होती है।
जू-क्यूरेटर
चिड़ियाघर में पशु कल्याण और उनके संरक्षण की पूरी जिम्मेदारी जू-क्यूरेटर की ही होती है। प्रशासनिक कार्यों में अहम भूमिका होती है।
नौकरी के विकल्प
- फोटोग्राफर
- वन्यजीव पत्रकारिता
- डिस्कवरी, बीबीसी, नेशनल जियोग्राफिक के लिए फिल्म या डॉक्यूमेंटरी बनाना
- जानवरों की तस्करी, शिकार और पशुओं के साथ यातना व क्रूरता के विरुद्ध आवाज
उठाने वाला वकील
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, सेंटर फॉर एनवायरमेंट एजुकेशन, टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट जैसे संगठनों में सलाहकार के रूप में कार्य।
किसी एनजीओ में बायोलॉजिस्ट या पशुओं का केयरटेकर
वेतन
उम्मीदवार को यदि किसी को सरकारी कम्पनी में नौकरी मिलती है तो उसे सरकारी वेतन आयोग की सिफारिशों के हिसाब से वेतन मिलेगा। भारत में दो से तीन साल के अनुभव के साथ 5 से 6 लाख रुपए सालाना वेतन मिल जाता है।
प्रमुख संस्थान
- एरिड वन शोध संस्थान, राजस्थान
- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची
- भारतीय वन प्रबन्ध संस्थान, भोपाल
- कृषि एवं क्षेत्रीय शोध कॉलेज, धरवाड़
- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय
- एमिटी विश्वविद्यालय
- यूपी तकनीकी विश्वविद्यालय
- पर्यावरण एवं प्रबन्धन संस्थान, लखनऊ
- अन्नामलाई विश्वविद्यालय
- महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय
- डॉ. बीआर आम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
- कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर
- पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय, रायपुर
- वानिकी शिक्षा एवं शोध संस्थान, देहरादून
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