विज्ञान चलचित्र मेला : अब बनेंगी अच्छी विज्ञान फिल्में


विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विज्ञान प्रसार और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद द्वारा दूरदर्शन, आकाशवाणी, यूनिसेफ, लखनऊ विश्वविद्यालय के पर्यावरण शिक्षा केंद्र, एमेटी विश्वविद्यालय, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उ.प्र. और सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट के सहयोग से “5वाँ राष्ट्रीय विज्ञान मेला और प्रतियोगिता-2015” का आयोजन 4 से 8 फरवरी, 2015 तक लखनऊ की आँचलिक विज्ञान नगरी में किया गया, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि फिल्मकार व प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य पद्मश्री मुजफ्फर अली ने किया। इस अवसर पर विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ. आर. गोपीचन्द्रन, यूनिसेफ-उत्तर प्रदेश की प्रमुख नीलोफर पोरजंद, कलाकार और वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार रस्तोगी और राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद से सम्बद्ध राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र के निदेशक डॉ. रामा शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किये। आँचलिक विज्ञान नगरी के परियोजना समायोजक डॉ. उमेश कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया और फिल्मोत्सव के मुख्य संयोजक निमिष कपूर ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन आकाशवाणी की उद्घोषिका पारूल शर्मा ने किया।

Fig-1इस पाँच दिवसीय विज्ञान चलचित्र मेले में 152 प्रविष्टियों में से चयनित 64 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, जिसमें विज्ञान और तकनीकी की ऐतिहासिक यात्रा को “फ्यूजन-हिस्टोरिकल जर्नी ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी इन पंजाब”, एचआईवी पीड़ितों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण को “एचआईवी” फिल्मों में प्रदर्शित किया गया। मैंग्रूव वनों, रेडियो, दूरबीन और साँपों के रोचक संसार की झलक भी फिल्मों के माध्यम से देखने को मिली। फिल्म ‘अंडे का फंडा’ समारोह का खास आकर्षण रही। इनके साथ ही जब हम सो जाते हैं तो क्या होता है, शांति के क्षेत्र में एटम का प्रयोग यूनिसेफ द्वारा निर्मित किशोरियों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर आधारित फिल्म ‘पहेली की सहेली’ का प्रदर्शन किया गया।

समारोह में “बीटी ब्रिंजल-सेफर बेटर एफोरडेबल” का प्रदर्शन किया गया। कम कैलोरी की इस सब्जी में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेड और फाइबर की प्रचुरता रहती है। फिल्म “मैथेमैजिक (खुदबुद्द गणित सिखाने का एक प्रयोग है), ‘मेरे आंगन के पक्षी’ (पर्यावरण में बदलाव से आए खतरे) का प्रदर्शन किया गया है।

यहीं उर्दू भाषा की फिल्म “पैगाम” में जंगलों को बचाने का संदेश “वैनिशिंग वल्चर” में तेजी से लुप्त हो रहे गिद्धों को बचाने का संदेश, “विज्ञान से ध्यान की ओर” में पुरातन भारतीय विज्ञान ध्यान और आध्यात्म का महत्त्व, “विसर्जन” में दुर्गा-पूजा जैसे धार्मिक पर्व के बाद नदियों में मूर्ति विसर्जन का दुष्परिणाम, “ड्राप बाई ड्राप” में पानी की एक-एक बूँद को बचाकर सुरक्षित कल का सपना का प्रदर्शन किया गया। ऐनीमेटेड फिल्मों “गप्पी” में एक मछली की गंगा नदी की यात्रा, “द पलाइट” में वर्तमान के हालातों में आने वाला कल का प्रदर्शन किया गया। इसके साथ फिल्म “इंसेक्ट्स एट ग्लो”, “कैन क्राउड सोर्सिंग डिस्कवर न्यू ड्रग”, “कम एलाँगविद हरिया”, “मदर वॉस्प”, “ अंडर द सिलिका डस्ट”, “वेस्ट मैनेजमेंट अर्थक्वेक सेफ”, “पॉवर शोअर” व मॉन्युमेंटल साइंस” का प्रदर्शन भी किया गया। इस चलचित्र मेले में गैर प्रतियोगी वर्ग और माइक गनटन के निर्देशन में बीबीसी टेलीविजन, डिस्कवरी चैनल द्वारा निर्मित फिल्म “लाइफ हिस्ट्री” का प्रदर्शन किया गया।

फिल्म “आओ चले सुनहरे कल की ओर” में किसानों को भविष्य सुरक्षित रखने के लिये न्यूनतम रासायनिक खाद्य का प्रयोग, “घारत-द रिवाइवल ऑफ वाटरमिल्स” में ग्रामीण क्षेत्र में बिजली निर्माण की कहानी, “हाउ कैन एडवांस कम्प्यूटिंग इम्प्रूव अवर लाइव्स” में दैनिक जीवन में कम्प्यूटर का प्रयोग कर जीवन स्तर का विकास का प्रदर्शन किया गया। इनके साथ ही अनेक अन्य उपयोगी व ज्ञानवर्धक फिल्में भी प्रदर्शित की गई।

इस महोत्सव के तहत तकनीकी उत्कृष्ठता हेतु ट्राफी एवं प्रमाण पत्र के साथ 20 हजार रुपये का पुरस्कार चार विधाओं में दिया गया। सिनेमेटोग्राफी के लिये शैलेंद्र हूडे निर्देशित फिल्म स्नेक्स, संपादन के लिये एंटोनी फीलिक्स की लार्ज मेश पर्स सिनिंग, ग्राफिक्स, एनीमेशन व विशेष प्रभाव के लिये सुमित ऑसमंड शॉ निर्देशित फिल्म गप्पी व ध्वनि रिकार्डिंग और संरचना के लिये श्रीनिवास ओली निर्देशित फिल्म घरात- रिवाइवल ऑफ वॉटरमिल्स को प्रदान किया गया। ट्राफी एवं प्रमाण पत्र के साथ 40 हजार रुपये का विशेष जूरी पुरस्कार नल्ला निर्देशित फिल्म आइगर्स रिवेंज को मिला।

इसके साथ ही सोसाइटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट यानी एसईएस के विशेष पुरस्कार से मौतियर रहमान निर्देशित फिल्म मौनूमेंटल सांइस, कुलवंत भाबरा की पाइथेरेमेन्डिएशन ऑफ मैंग्निज माइन स्पॉइल डम्पस थ्रू इंटिग्रेटेड बायो-टेक्नोलॉजिकल एप्रोच व अब्बास हसनैन द्वारा निर्देशित फिल्म वैनिशिंग वल्चर को सम्मानित किया गया। जूरी में चंद्रप्रकाश द्विवेदी की अध्यक्षता में डॉ. अनिल रस्तोगी, सी.एम. नौटियाल, शरद दत्ता, संतोष के. पांडेय, रतनमणि लाल, कमर रहमान, ललिथा वैद्यानाथन व जयंत कृष्णा बतौर सदस्व्य शामिल रहे।

कार्यक्रम के दौरान नव फिल्मकारों के लिये कार्यशाला का आयोजन किया गया। यहीं विभिन्न क्षेत्रों से वैज्ञानिकों और फिल्मकारों ने विज्ञान संवाद कार्यक्रम में अपने व्याख्यान कर अपने अनुभवों को साझा किया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि निर्माता निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी सहित विशिष्ट अतिथि सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ, फिल्मकार शरद दत्त ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन संयुक्त रूप से मंजरी गुप्ता और वीथिका माहे ने किया।

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