वेटलैंड किसे कहते हैं
जलमग्न अथवा आर्द्रभूमि को वेटलैंड कहते हैं। प्राकृतिक अथवा कृत्रिम, स्थायी अथवा अस्थायी, पूर्णकालीन आर्द्र अथवा अल्पकालीन, स्थिर जल अथवा अस्थिर जल, स्वच्छ जल अथवा अस्वच्छ, लवणीय, मटमैला जल- इन सभी प्रकार के जल वाले स्थल वेटलैंड के अन्तर्गत आते हैं। समुद्री जल, जहाँ भाटा-जल की गहराई छः मीटर से अधिक नहीं हो, भी वेटलैंड कहलाता है।
इस प्रकार जलयुक्त दलदली वन भूमि (Swamps) दलदली झाड़ी युक्त स्थल (Marsh) घास युक्त दलदल, जल प्लावित घास क्षेत्र (bogs) खनिज युक्त आर्द्रस्थल (Fens) सड़े गले पेड़-पौधों के जमाव वाली आर्द्रभूमि (Peatland) दलदल, नदी, झील, बाढ़ के क्षेत्र, बाढ़ वाले वन, समुद्री किनारे के झाड़ी युक्त स्थल (Mangroves) डेल्टा, धान के खेत, मूंगे की चट्टानों के क्षेत्र, बांध, नहर झरने, मरुस्थली झरने, ग्लेशियर, समुद्री तट ज्वार भाटे वाला स्थल आदि सभी आर्द्र क्षेत्र वेटलैंड कहलाते हैं। मानवकृत कृत्रिम जल स्थल जैसे मत्स्य पालन, जलाशय आदि भी वेटलैंड के अन्तर्गत हैं।
प्रत्येक वेटलैंड का अपना पर्यातंत्र होता है अर्थात पारिस्थितिक तंत्र होता है। जैव विविधता होती है, वानस्पतिक विविधता होती है। ये वेटलैंड जलजीवों, पक्षियों, आदि प्राणियों के आवास होते हैं।
वेटलैंड के जल संरक्षण, जल प्रबंधन के पीछे यही उद्देश्य है कि जल के संरक्षण के साथ-साथ उनके पारिस्थितिक तंत्र को भी संरक्षण दिया जाये। इसके लिये जल की गुणवत्ता बनी रहे, इस हेतु प्रयत्न किये जा रहे हैं।
पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन बचा रहे इसके लिये प्रत्येक परिस्थितिक तंत्र का बने रहना जरूरी है। पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन और पारिस्थितिक तंत्र से संतुलन इन दोनों का ही महत्त्व है।
राष्ट्रीय वेटलैंड प्रबंधन कमेटी :
हमारी राष्ट्रीय वेटलैंड प्रबंधन कमेटी (National Wetland Management Committee) का गठन सन 1987 में किया गया था। इस कमेटी के कार्य नीचे लिखे अनुसार हैं-
1. वेटलैंड से सम्बन्धित नीति, मार्गदर्शिका बनाना जिससे कि वेटलैंड के संरक्षण, प्रबंधन एवं शोधकार्य आगे बढ़ सकें।
2. संरक्षण हेतु वेटलैंड का चयन करना।
3. कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की समीक्षा करना।
4. भारतीय वेटलैंड के ऊपर आने वाली विनिवेश इन्वेंटरी आदि को तैयार करने में सलाह देना।
रामसर अथवा रम्सर कन्वेंशन (रामसर, ईरान, 1971) :
रामसर कन्वेंशन, सभी देशों के वेटलैंड पर समझौते अथवा आपसी सूझ-बूझ का नाम है। इसके सभी सदस्य अपने देशों की सीमाओं के अंदर आने वाले अन्तरराष्ट्रीय महत्त्व के सभी वेटलैंड की पारिस्थितिक गुणवत्ता बनाये रखने तथा अपने जलस्रोतों, आर्द्रभूमियों के समुचित उपयोग (Wise Use) मित्रतापूर्ण उपयोग (Sustainable Use) करने हेतु प्रतिबद्ध हैं।
कन्वेंशन का मुख्य उद्देश्य है- स्थानीय, राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के द्वारा वेटलैंड का संरक्षण एवं समुचित उपयोग सुनिश्चित करना।
- अन्तरराष्ट्रीय महत्त्व के वेटलैंड की सूची बनाना।
- वेटलैंड को बनाये रखने के लिये सहयोग करना।
अन्तरराष्ट्रीय महत्त्व के वेटलैंड की पहचान सुनिश्चित करने के लिये मानदंड :
1. ग्रुप अ के वेटलैंड- ऐसे क्षेत्र जो प्रतिनिधि आर्द्रभूमियां हों, प्राकृतिक हों अथवा प्राकृतिक के समान हों, अद्वितीय हों बहुत कम देखने में आती हों।
2. ग्रुप ब के वेटलैंड- जैव व विविधता की दृष्टि से संरक्षण के लिये जो आर्द्रभूमियां महत्त्वपूर्ण हों।
3. यदि वेटलैंड में प्राणियों की प्रजातियाँ खतरे में हैं, उनको भी अन्तरराष्ट्रीय रूप से महत्त्व दिया जाये ताकि जैव विविधता को संरक्षण दिया जा सके।
4. उस वेटलैंड को अन्तरराष्ट्रीय महत्त्व का माना जायेगा जिसमें पौधों और जीवों की प्रजातियों को इसलिये संरक्षण देना जरूरी हो जिससे कि वहाँ की जैव विविधता बची रहे।
5. ऐसे वेटलैंड को भी अन्तरराष्ट्रीय महत्त्व प्रदान किया जायेगा। जहाँ पौधों और पशुओं की प्रजातियाँ कठिन परिस्थिति में जीवित रह पा रही हों।
6. जहाँ बीस हजार या अधिक जल पक्षियों (Water Birds) को शरण मिलती हो।
7. ऐसा वेटलैंड जो किसी प्रजाति विशेष की जल पक्षियों की आबादी को निरंतर संपोषित करता हो।
8. वेटलैंड, जो देशी मछलियों की उप प्रजातियों अथवा उनके परिवारों के अन्तर सम्बन्धों के लिये लाभकारी हो।
9. ऐसे वेटलैंड, जिनके स्थल, प्रवासी मछलियों के प्रजनन के लिये जरूरी या उपयुक्त हों, मछलियों के भोजन के स्रोत हों, अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त रहेंगे।
विश्व वेटलैंड दिवस :
2 फरवरी को प्रतिवर्ष विश्व वेटलैंड दिवस मनाया जाना सुनिश्चित हुआ है।
राम सर कन्वेंशन के सदस्यों की संख्या 168 तक पहुँच चुकी है।
कुल मान्यता प्रदत्त वेटलैंड की सुख्या 2185 हो चुकी है।
प्रत्येक सदस्य देश को अधिकार है कि वह किसी भी नये वेटलैंड की मान्यता के लिये समय-समय पर अपना प्रस्ताव भेज सकता है। सभी देशों से आग्रह किया गया है कि वे वेटलैंड पर सम्मेलनों, सभाओं, गोष्ठियों का आयोजन करेंगे तथा अपने-अपने देश के वेटलैंड के संरक्षण, प्रबंधन, सदुपयोग तथा पर्यातंत्रीय व्यवस्थाओं की देखरेख के उत्तर दायित्व का निर्वाह करेंगे।
वेटलैंड का चयन :
वेटलैंड का चयन करते समय पारिस्थितिक विज्ञान (Ecology) वनस्पति शास्त्र (Botany) प्राणी विज्ञान (Zoology) सरोवर विज्ञान (Limnology) और जल विज्ञान (Hydrology) के सिद्धान्तों को ध्यान में रखा जाता है।
रामसर वर्गीकरण :
प्रकारों के अनुसार वेटलैंड के वर्गीकरण करने के लिये, पद्धति निश्चित की गई है जिसे वेटलैंड का रामसर वर्गीकरण कहते हैं। यह निम्नानुसार है-
1. समुद्री, समुद्र तटीय वेटलैंड ;(Marine, Costal Wetland):- A/B/C/D/F/GH/I/J/K/Zk(a) = 11 प्रकार
2. भूमि तल के वेटलैंड (Inland Wetland)
L, M, N, O, P, Q, R, SP, SS, TP, TS, U, Va, Vt, W, Xf, Xp,Y, Zg, Zk(b) = 20 प्रकार
3. मानव कृत (Human Made) वेटलैंड :
1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, Zk(c) = 10 प्रकार
भारत के अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त वेटलैंड :
भारत के, रामर कन्वेंशन के अन्तर्गत अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्रदत्त वेटलैंड इस प्रकार हैं-
रामसर क्र. | वेटलैंड का नाम/क्षेत्रफल हेक्टेयर | प्रदेश |
1204 | अष्ठमुदी 61400 | केरल |
1205 | भीतर कनिका मैंग्रोव 65000 | उड़ीसा |
1206 | भोजवेटलैंड, भोपाल 3201 | मध्य प्रदेश |
1569 | चन्दरताल 49 | हिमाचल प्रदेश |
229 | चिल्का झील 116500 | उड़ीसा |
1207 | दीपोर बील 4000 | आसाम |
1208 | पूर्वी कोलकता वेटलैंड 12500 | पश्चिम बंगाल |
462 | हरीके झील 4100 | पंजाब |
570 | होकेरा 1375 | जम्मू और कश्मीर |
1160 | कंजली 183 | पंजाब |
230 | केवला देओ राष्ट्रीय उद्यान 2873 | राजस्थान |
1209 | कोल्लेरू झील 90100 | आंध्र प्रदेश |
463 | लोकटक झील 26600 | मणिपुर |
2078 | नल सरोवर बिडला सेंक्चुअरी 12000 | गुजरात |
1210 | प्लाइंट कैलीमेरे वन्यजीव और पक्षी अभ्यारण्य 38500 | तमिलनाडु |
1211 | पोंग बांध झील 15662 | हिमाचल प्रदेश |
1571 | रेणुका वेटलैंड 20 | हिमाचल प्रदेश |
1161 | रोपड़ नेशनल वेटलैंड 1365 | पंजाब |
1572 | रूद्र सागर झील 240 | त्रिपुरा |
464 | सांभर झील 24000 | राजस्थान |
1212 | सास्थाम कोट्टा झील 373 | केरल |
1573 | सुरीनसर - मानसर झील 350 | केरल |
1213 | त्सोमोरिर 12000 | जम्मू और कश्मीर |
1574 | अपर गंगा रिवर 26590 | उत्तर प्रदेश (ब्रिजघाट से नरोरा) |
1214 | वेमकानाड-कोल 151250 | केरल |
461 | वुल्लर झील 18900 | जम्मू और कश्मीर |
भोजवेटलैंड : भोपाल ताल, 2015 (इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिये कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें।) | |
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