उत्तर बंगाल में भी सूखा

जाटी, मालदा/ कूचबिहार/ मयनागुड़ी/ रायगंज : उत्तर बंगाल भीषण सूखे की चपेट में है। बारिश नहीं होने के कारण खेतों में दरारें पड़ गयी हैं। हालत यह कि खेतों में पाट की फसल सूख रही है और धान की रोपनी महज तीस फीसदी ही हो पायी है। रोपा गया धान भी पानी के अभाव में सूख रहा है। यूं तो सूखे का असर कमोवेश पूरे उत्तर बंगाल में है, मगर जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, मालदा, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर जिले ज्यादा प्रभावित हैं। जिन खेतों में धान की रोपनी नहीं हुई है उनमें अभी भी पाट की फसल लगी हुई है। किसानों का कहना है कि पाट की फसल तैयार तो हो गयी है, मगर उसे सड़ाने के लिए पानी उपलब्ध नहीं है। उसे काटकर रख देने से उसके डंठल सूख जायेंगे और उससे पाट नहीं निकलेगा।

जलपाईगुड़ी में एक लाख 80 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा गया था, मगर अभी तक वहां तीस फीसदी ही धान की रोपनी हो पायी है।यहां उल्लेखनीय है कि इसी सूखे से निराश किसान दिलीप राय ने आत्महत्या कर ली है। इसी जिले के किसानों में सूखे से निराशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।

मालदा जिले के कुल 15 प्रखंडों में एक लाख 52 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की खेती होती है। इनमें से हबीबपुर, वामनगोला, गाजल, हरिश्चंद्रपुर, चांचल एवं रतुआ ब्लाक में सबसे अधिक धान की पैदावार होती है। प्रतिवर्ष जिले से 70 करोड़ रुपये की औसतन धान की पैदावार होती है। लेकिन इस वर्ष वर्षा की कमी से धान की पैदावार प्रभावित हुई है।

कूचबिहार जिले की हालत भी बेहतर नहीं है। कृषि विभाग के अनुसार जिले में अमन धान की खेती एक लाख 97 हजार हेक्टेयर जमीन में होती है। पाट की खेती 74 हजार हेक्टेयर जमीन में होती है, लेकिन पानी के अभाव में किसान पाट को सड़ाने का काम नहीं कर पा रहे हैं।

उधर, दक्षिण दिनाजपुर जिले में अभी तक चालीस फीसदी ही बारिश हुई है। यहां भी किसान धान की खेती नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल उत्तर दिनाजपुर जिले का भी है। उत्तर दिनाजपुर जिले की करीब 47 हजार हेक्टेयर जमीन में धान की खेती होती है, लेकिन अभी तक आधी जमीन में भी धान की रोपनी नहीं हो सकी है।

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