- अमेरिका स्थित थिंक टैंक के पिछले दिनों जारी एक अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का मौजूदा स्तर जारी रहा तो दिल्ली के निवासियों को अपने जीवन के 11.9 साल खोने की संभावना है।
- शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान ने अपने नवीनतम वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है और यह भारत के उन क्षेत्रों में से है, जिनकी स्थिति देश के औसत से कहीं अधिक खराब है।
- संगठन ने कहा है कि सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण से औसत भारतीय नागरिक की जीवन प्रत्याशा 5.3 वर्ष कम हो जाती हैं। सूक्ष्म कण वायु प्रदूषण का तात्पर्य पीएम 2.5 या 2.5 माइक्रोन व्यास से छोटे कण से है। ऐसे कण विशेष रूप से खतरनाक होते हैं क्योंकि वे इतने छोटे होते हैं कि श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता संभावित रूप से खराब हो सकती है
- ऊर्जा नीति संस्थान ने जीवन प्रत्याशा में कमी की गणना इस आधार पर की कि यदि सूक्ष्म कण प्रदूषण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया होता तो औसत जीवनकाल कितना होता औसतन जीवनकाल कितना होता।
- वैश्विक स्वास्थ्य निकाय के दिशा-निर्देश कहते हैं कि वार्षिक औसत पीएम 2.5 सांद्रता 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- ऊर्जा नीति संस्थान ने कहा है कि देश की पूरी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है, जहां वार्षिक औसत कण प्रदूषण स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा- निर्देशों से अधिक हैं। इसमें कहा गया है कि 67.4 प्रतिशत आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है, जो देश के अपने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी मैदानी इलाकों में, 38.9 प्रतिशत आबादी विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के सापेक्ष 8 वर्ष और राष्ट्रीय मानक के सापेक्ष 4.5 वर्ष खोने की राह पर है, यदि वर्तमान प्रदूषण स्तर जारी रहता है। अध्ययन में उत्तरी मैदानी इलाकों को बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को शामिल करने के लिए परिभाषित किया गया है।
- ऊर्जा नीति संस्थान के अनुसार, कण प्रदूषण-जीवन प्रत्याशा के संदर्भ में मापा जाता है- भारत में सबसे बड़ा स्वास्थ्य खतरा है। रिपोर्ट में कहा गया है, "इसके विपरीत, हृदय संबंधी बीमारियों से औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा लगभग 4.5 साल कम हो जाती है, जबकि बाल और मातृ कुपोषण से जीवन प्रत्याशा 1.8 साल कम हो जाती हैं
- थिंक टैंक ने कहा है कि चार दक्षिण एशियाई देश - भारत, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान- आज दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से हैं, जहां औसत निवासी वर्ष 2000 की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक कण प्रदूषण स्तर के संपर्क में हैं, कि ये चारों देश मिलकर वैश्विक आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाते हैं।
स्रोत - हस्तक्षेप, 4 नवम्बर 2023, राष्ट्रीय सहारा
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Post By: Shivendra